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आर्थिक सुनामी की ओर बढ़ रहा सूरत

locationसूरतPublished: Jul 11, 2020 01:11:55 am

Submitted by:

Sunil Mishra

हीरा बाजार और टैक्सटाइल में ऑर्डर नहींसारे सीजन भेंट चढ़ गए कोरोना की भेंट
No order in diamond market and textileCorona’s gift went all season

आर्थिक सुनामी की ओर बढ़ रहा सूरत

आर्थिक सुनामी की ओर बढ़ रहा सूरत

सूरत. देश के विकास में भागीदार सूरत का मेन मैड फायबर अर्थात आर्ट सिल्क कपड़ा उद्योग गंभीर हालात से गुजर रहा है। यह पहले से ही मंदी में फंसा था और फिर लॉकडाउन के तीन महीने में पूरा ठप हो गया। इतिहास में पहली बार इतनी लंबी अवधि तक ऐसा बंद रहा कि कपड़ा बना ही नहीं। अब कोरोना कई माह तक जाने वाला भी नहीं है। ऐसे मेें 2019 से चल रही मंदी वर्ष 2020 के अंत तक टैक्सटाइल सेक्टर में आर्थिक सुनामी का रूप ले सकती है। स्थिति जल्द नहीं सुधरी और सरकारी पैकेज या मदद नहीं मिली तो सूरत के कपड़ा बाजार के हालात भयावह हो सकते हैं।
रुपया नीचे से ऊपर तक जाम
परिदृश्य ऐसा है कि चार महीनों से जब कपड़ा बिका ही नहीं तो रुपया गांव-शहर से निर्माता तक पहुंचेगा कैसे? लाखों लोगों की नौकरियां चली गई, धंधे खत्म हो गए तो पहले रोटी, फिर कपड़ा व मकान। देश की मंडियों व विदेशों से ऑर्डर ही नहीं हैं तो मिलें क्या और क्यों बनाएगी? अभी 80 फीसदी स्पिनिंग, वीविंग उद्योग, कपड़ा प्रोसेसिंग इकाइयां तथा एम्ब्रॉयडरी, हस्तशिल्प व मशीनरी व वेल्यू एडेड वर्क आदि तमाम घटक ठप हैं। सूरत के करीब 180 टैक्सटाइल मार्केट के 70 हजार व्यापारी और उनसे जुड़े करीब दो लाख लोगों को कुछ भी नहीं सूझ रहा कि वे क्या करेंगे? कई व्यापारियों का 2019 की दीपावली का फंसा रुपया 2020 की दिपावली तक भी आने की उम्मीद नहीं है। लॉकडाउन के पहले बेचे हुए कपड़े का रुपया मांगने पर माल लौटाने की बात होती है।

टैक्सटाइल इसलिए ज्यादा प्रभावित
पूरा टैक्सटाइल उद्योग चेन सिस्टम से चलता है। ग्रामीण रिटेलर से शुरू होकर थोक डीलर से गुजरते हुए निर्माता तक पहुंचता है। कुछ बहुत बड़े उद्योगपतियों को छोड़कर अधिकांश मिल मालिकों का धंधा बहुत कम मार्जिन के लाभ पर लाखों के बैंक लोन व उधारी तथा के्रडिट के भरोसे चलता है। श्रमिक, ट्रांसपोर्ट और कच्चा मटेरियल उनकी रीढ़ होती है। त्योहार व अन्य सीजन कमाने तथा घाटे को कवर करने का समय होता है। कोरोनो के चलते पहले वैवाहिक सावे रद्द हुए, फिर रमजान माह की ग्राहकी गई, अब स्कूल यूनिफॉर्म, सावन, रक्षाबंधन, ऑडी, ओणम आदि सीजन भी पिट रहे हंै। लॉकडाउन के चलते रेडी स्टॉक और पुराने बेचे माल का बकाया मुसीबत बना हुआ है।
प्रोडक्शन भी नहीं कर सकते
सूरत में करीब 350 कपड़ा मिलें व विभिन्न प्रोसेसिंग इकाइयां हैं। जानकारी के मुताबिक, अनलॉक-1.0 में श्रीगणेश करने और मार्केट में अपना व्यापार बचाने व मास्टर कारीगरों को रोकने के लिहाज से कुछ छोटे ऑर्डर के साथ चालीस के करीब मिलें शुरू हुई। लेकिन बड़ा ऑर्डर व श्रमिकों के अभाव में माल बनने से ज्यादा कोयला ही जल गया। इसके अलावा कई नुकसान के चलते फिर से मिलें बंद कर दी। जो शुरू करने वाले थे, उन्होंने इरादा त्याग दिया। उद्यमियों के अलावा मिलों में पगार, मेंटनेंस के अलावा सरकारी-गैर सरकारी फिक्स खर्चे व लोन तो है ही।
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