पिटीशन में कहा गया है कि मौन रैली के दौरान हिंसा के बाद पुलिस ने उन्हें मौके से गिरफ्तार कर लिया था, जबकि उन्होंने पुलिस पर पथराव या हाथापाई नहीं की थी। इसके बावजूद उन्हें अभियुक्त बनाया गया। पुलिस ने आइपीसी की धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया है, जबकि घटना में किसी पुलिसकर्मी को जानलेवा चोट नहीं पहुंची। इसके बावजूद पुलिस ने हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया। उन्होंने उच्च न्यायालय से मांग की कि उनके खिलाफ दर्ज शिकायत को रद्द किया जाए और जब तक पिटीशन पर सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक इस मामले में किसी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगाई जाए। पिटीशन पर सुनवाई 18 अगस्त को होगी। इससे पहले अधिवक्ता फिरोज पठान और हाजी चांदीवाला भी कोर्ट में पिटीशन दायर कर चुके हैं। उनकी पिटीशन की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।