-एक ही वर्ष में तैयार होंगे एक हजार देश की तीस फीसदी आबादी सभी राज्यों के वनवासी बहुल क्षेत्र में निवास करती है और यहां सनातन संस्कृति को जन-जन तक गहराई से पहुंचाने के लिए समिति को अभी कई वनवासी कथाकारों की आवश्यकता है। इसके लिए समिति ने वर्ष 2021 में एक हजार कथाकार तैयार करने की योजना तैयार की है और इसके लिए देशभर में 25 प्रशिक्षण केंद्र भी बनाए हैं। पहले यह केंद्र अयोध्या, वृंदावन, नडिय़ाद आदि में कुल सात ही थे। प्रत्येक केंद्र पर नौ माह के प्रशिक्षण से 50 करीब वनवासी कथाकार तैयार किए जाएंगे।
-तीर्थस्थलों का कराते हैं भ्रमण वनवासी कथाकार बनने के लिए पहले नए अभ्यर्थी को पुराने कथाकार के साथ तीन माह तक समय व्यतीत कर रीति-नीति सीखनी पड़ती है और बाद में उन्हें नौ माह के प्रशिक्षण के लिए चयन करते हैं। प्रति माह मानदेय भी कथाकारों को मिलता है और प्रशिक्षण के दौरान यह कथाकार श्रीराम व श्रीकृष्ण के आदर्श जीवन चरित्र के अधिकांश धार्मिक केंद्रों का भ्रमण भी करते हैं। अभी तक तैयार हुए चार हजार वनवासी कथाकारों में देश के करीब 23 प्रांतों के वनवासी क्षेत्रों से हैं और वे ज्यादातर अपने क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं।
-एक लाख गांवों तक है लक्ष्य श्रीहरि सत्संग समिति के एकल श्रीहरि के माध्यम से फिलहाल देश के 71 हजार वनवासी बहुल गांवों में सनातन संस्कृति के प्रसार के साथ-साथ संस्कार, स्वावलंबन, अधिकारों के प्रति जागरुकता, गो ग्राम योजना समेत अन्य कार्य किए जा रहे हैं। वहीं, एकल अभियान के तहत अभी तक एक लाख से ज्यादा वनवासी बहुल गांवों में एकल विद्यालय का संचालन का स्वप्न भी साकार हुआ है और अब यह सामाजिक, धार्मिक गतिविधि इन एक लाख वनवासी गांवों तक पहुंचाने की पहली प्राथमिकता इस 2021 में बनी हुई है।
-मिल रहा है व्यापक सहयोग श्रीहरि सत्संग समिति के वनवासी सेवा के कार्यों को देशभर से व्यापक सहयोग मिल रहा है और इसमें सरकार, प्रशासन, उद्योगपति, साधु-संत, सामान्य जन के साथ वनवासियों का अपार सहयोग शामिल है।
महेश मित्तल, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, श्रीहरि सत्संग समिति