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SURAT NEWS: गौशाला में तैयार होने लगी है इकोफ्रेंडली वैदिक राखियां

locationसूरतPublished: Aug 04, 2021 08:47:42 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

-इस रक्षाबंधन पर भाई की कलाई को गौ उत्पाद से निर्मित राखियां बांधकर सजाएगी बहनें

SURAT NEWS: गौशाला में तैयार होने लगी है इकोफ्रेंडली वैदिक राखियां

SURAT NEWS: गौशाला में तैयार होने लगी है इकोफ्रेंडली वैदिक राखियां

सूरत. बदलते वक्त के साथ-साथ अब गाय और गौशाला को स्वावलंबी बनाने की दिशा में नित नए प्रयोग होने लगे हैं। दीपावली पर पहले गौ उत्पाद (गोबर) से बने दीए आए और होली पर स्टिक। अब रक्षाबंधन पर्व पर इस बार 22 अगस्त को भाईयों की कलाई को बहनें गौ उत्पाद से निर्मित रक्षासूत्र बांधकर सजाएगी।
यूं तो गाय और गौशाला से लोगों का परिचय सदियों पुराना है लेकिन, इनकी स्वनिर्भरता कोरोना काल में कुछ अधिक ही उभरकर सामने आ रही है। कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधियों से लोगों का जुड़ाव बढऩे के साथ-साथ गौ उत्पाद के प्रति आकर्षण भी बढ़ा है और इसी का परिणाम है कि गतवर्ष दीपावली पर अधिकांश घरों में लक्ष्मी माता के पूजन के दौरान गौ उत्पाद से निर्मित दीए घी के साथ रोशन हुए थे। इतना ही नहीं इसके बाद होली पर होलिका दहन में भी गौ उत्पाद की स्टिकें खूब उपयोग में ली गई। अब श्रावण पूर्णिमा के मौके पर भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाएगा और इस राखी के त्योहार पर भी गौ उत्पाद से निर्मित रक्षासूत्र भाईयों की कलाई पर बांधती बहनें दिखाई देगी।
-गौ उत्पाद के प्रति बढ़ेगी जनचेतना

भारतीय त्योहार व उत्सवों पर चाइना बाजार का कब्जा होता जा रहा है और ऐसे में घर-घर में पूजनीय गौमाता के उत्पाद से इकोफ्रेंडली दीए, स्टिक, रक्षासूत्र आदि का निर्माण होने से जहां स्वदेशी बाजार को बढ़ावा मिलेगा वहीं, गौ उत्पाद के प्रति भी लोगों की चेतना बढ़ेगी। यह बात प्रदर्शनी देखने आई महिला धारा मेहता समेत अन्य ने कही। उनके मुताबिक गाय और गौशाला को स्वावलंबी बनाने की दिशा में इस तरह के प्रयोगों की खासी जरूरत है।
-35 वनवासी महिलाएं सक्रिय

फिलहाल गौ उत्पाद से रक्षासूत्र अर्थात राखी बनाने का कार्य कच्छ की एक गौशाला में किया जा रहा है और वहां तैयार राखियां सूरत समेत गुजरात व अन्य राज्यों में श्रावण मास के दौरान लगने वाली प्रदशर्नियों में भेजी जा रही है। गौशाला में 35 वनवासी महिलाएं गौ उत्पाद के बारीक चुर्ण से बाद में अलग-अलग आकर्षक डिजाइन के सांचों में ढालकर राखियों का रूप दे रही है। शहर में लगी एक एक्जिबिशन में यह राखियां सूरत के ही एक गौशाला संचालक ने मंगवाई है।
-ऐसे प्रयोग हो गए हैं जरूरी

गाय और गौशाला को स्वावलंबी बनाने के लिए इस तरह के प्रयोग जरूरी हो गए हैं। शास्त्रों में गाय को लक्ष्मी स्वरूप में देखा गया है तो उसे समझने की भी जरूरत है। निकट भविष्य में इसी तरह के अन्य प्रयोग भी किए जाएंगे ताकि लोगों की गाय के प्रति श्रद्धाभक्ति और बढ़ें।
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