-तब से अभी तक
पिछले साल मार्च से लॉकडाउन प्रारम्भ हुआ जो कि एक जून को खुला और उसके बाद से लगातार कोरोना गाइडलाइन के अनुरूप रेस्टोरेंट-होटल व्यवसाय संचालकों को चलाना पड़ा। दीपावली के बाद व्यवसाय थोड़ा-बहुत पटरी पर आता अवश्य दिखाई पड़ा था और इसमें पिछले छह महीने की स्थिति से उबरते कि नए साल में रात्रि कफ्र्यू का समय पहले 9 बजे और बाद में 8 बजे से हो गया और मौजूदा दौर में तो देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन जैसे हालात है। पूरे राज्य में 40 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े रेस्टोरेंट-होटल है और इनमें से अधिकतर के खर्चों में कोई कटौती नहीं हो पाई है नतीजन 25 से 30 फीसदी रेस्टोरेंट-होटल बंद भी हो चुके हैं।
-70 प्रतिशत कारोबार रात 8 बजे के बाद
रेस्टोरेंट मालिक दिनेश राजपुरोहित ने बताया कि शहर में ज्यादातर रेस्टोरेंट में व्यवसाय का समय रात्रि 8 बजे के बाद प्रारम्भ होता है क्योंकि स्थानीय लोग भोजन के लिए 9 बजे से पहले नहीं आते और बाहर के लोग भी 8 बजे बाद पहुंचना शुरू होते हैं। इस समय दौरान 70 फीसद कारोबार होता है जो कि पूर्णतया बंद है। वहीं, खर्चे बदस्तूर जारी है और इसमें स्टाफ का वेतन, लाइट, गैस, रेंट आदि मुख्य रूप से शामिल है। सूरत में व्यवसाय से 30 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है और मौजूदा हालात में कई लोग घर-गांव भी चले गए हैं। कोरोना महामारी की वजह से रेस्टोरेंट-होटल व्यवसाय को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
-नुकसान की भरपाई संभव नहीं
पिछले वर्ष के मार्च से ही रेस्टोरेंट-होटल व्यवसाय कोरोना महामारी की मार से लगातार आर्थिक तौर पर त्रस्त है और इसकी भरपाई कहीं से संभव नहीं दिख रही है। रोजाना करोड़ों का नुकसान प्रदेशभर में इस व्यवसाय को झेलना पड़ रहा है।
अरुण शेट्टी, प्रमुख, साउथ गुजरात रेस्टोरेंट-होटल एसोसिएशन