पहले गांवो से बड़ी संख्या में लोग सूरत, मुंबई , कोलकाता आदि बड़ी शहरों में रोजगारी के लिए जाते थे
सूरतटैक्नोलॉजी के युग में नई पीढी के युवाओं को
सूरत के कपड़ा के कारखानों में 12 घंटे की नौकरी पसंद नही आ रही।
उद्यमियों का मानना है कि नई पीढी के युवा पहले के लोगों की तरह कठिन काम करना नहीं पसंद करते, पहले गांवो से बड़ी संख्या में लोग सूरत, मुंबई , कोलकाता आदि बड़ी शहरों में रोजगारी के लिए जाते थे, लेकिन अब के युवा गांव के ही चौराहे पर चाय या पान अथवा मोबाइल रिचार्ज जैसी दुकान खोल लेते हैं, लेकिन वह नौकरी करना नहीं पसंद करते। इसके अलावा देशभर में शायद सूरत एक मात्र शहर है जहां कि कपड़ा के कारखानों में 12 घंटे काम किया जाता है, इस कारण भी नए लोग इससे कतराते हंैं। पहले देश में साक्षरता की कमी थी इसलिए भी लोग पैसा कमाने के लिए कठिन से कठिन काम कर लेते थे, लेकिन अब 10वीं या 12वीं पास युवा दिल्ली, हरियाणा या अन्य शहरों में आठ घंटे की नौकरी कर लेतें हैं