साड़ी और ड्रेस मटीरियल्स के अलावा अन्य फैब्रिक्स के लिए तैयार नहीं हुए तो धुंधला दिखता भविष्य
सूरतपॉलिएस्टर कपड़ों के उत्पादन और व्यापार के लिए दुनिया भर में प्रख्यात
सूरत शहर के कपड़ा उद्यमियों ने यदि अब साड़ी और ड्रेस मटीरियल्स के अलावा कुछ नया नहीं सोचा तो आने वाले पांच साल के बाद का भविष्य धुंधला नजर आने लगा है। कुछ कपड़ा उद्यमियों ने तो परिस्थिति को समझते हुए अभी से करवट बदल ली है और नए क्रिएशन की ओर कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।
सूरत का कपड़ा उद्योग साड़ी और ड्रेस मटीरियल्स के लिए जाना जाता है। यहां पर पॉलिएस्टर, नायलोन, विस्कोस आदि यार्न का उपयोग कर साड़ी और ड्रेस मटीरियल्स का उत्पादन किया जाता है। सूरत में हाल में लगभग साढ़े पांच लाख लूम्स मशीन, साढ़े तीन सौ डाइंग मिल और एक लाख एम्ब्राॉयडरी मशीने हैं। ज्यादातर कपड़ा उद्यमी पिछले कुछ वर्षो से लगातार मंदी-मंदी की रट लगाए हैं। वह इसके लिए जीएसटी को जिम्मेदार बता रहे हैं। एक हद तक कपड़ा व्यापारियों की बात ठीक है, लेकिन इसके साथ ही बदलती फैशन ने भी सूरत के कपड़ा उद्योग पर गंभीर चोट की है। साउथ गुजरात टैक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के प्रमुख जीतू वखारिया का कहना है कि पॉलिएस्टर कपड़ा उद्योग के लिए संकट के दिन नजर आ रहे हैं। क्योंकि अब फैशन बदलने के कारण पॉलिएस्टर की डिमांड घट रही है। वखारिया ने बताया कि कुछ वर्षो पहले सात-आंठ मीटर के ड्रेस मटीरियल्स रहता था, जो कि अब घटकर चार मीटर तक हो गया है। क्योंकि महिलाओं ने ड्रेस के साथ लेगिन्स पहनना शुरू कर दिया है। इसके अलावा दुपट्टा भी अब फैशन का हिस्सा हो गया है। इसका बुरा असर पड़ा है।