सोलर सिटी क्लब में शामिल होने के बाद सूरत शहर ने अपनी सौर ऊर्जा पॉलिसी बनाई थी। इसके तहत अपनी इमारतों पर सोलर पैनल लगाने के साथ ही सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए शहर में अन्य सरकारी इमारतों पर भी फोकस रखा था। इसके लिए मनपा ने शहर में काम कर रही दो बड़ी बिजली कंपनियों टोरंट पावर और डीजीवीसीएल को अपने साथ लिया था। उनका साथ मिलने के बाद 10 जुलाई 2019 तक के सौर ऊर्जा उत्पादन में सूरत ने लंबी छलांग लगाई है। मनपा और दोनों बिजली कंपनियों की कोशिश का असर यह रहा कि शहर में अब तक 5950 साइट्स पर 31608.66 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल लग चुके हैं। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो 10 जुलाई तक गुजरातभर में कुल 378.83 मेगावाट और देशभर में 2050.24 मेगावाट क्षमता के सोलर पैनल लगे हैं। गुजरात में अकेले सूरत की हिस्सेदारी 8.34 फीसदी और देशभर में यह 1.54 फीसदी तक पहुंच गई है। सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) समेत रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक शहर के लिए यह बड़ी उपलब्धि है।
इस तरह छुआ आंकड़ा सूरत महानगर पालिका ने अपनी 55 परिसंपत्तियों पर छह हजार किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल लगाए हैं। टोरंट पावर ने 1932 साइट्स पर 10152 किलोवाट क्षमता के पैनल लगाए हैं। दक्षिण गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (डीजीवीसीएल) ने अपने सूरत सिटी सर्कल में 3214 साइट्स पर 12791.663 किलोवाट और सूरत रूरल सर्कल में 749 साइट्स पर 2664.992 किलोवाट क्षमता के पैनल लगाए हैं।
हर साल बच रहे 52.40 करोड़ मनपा प्रशासन को रिन्यूएबल एनर्जी से हर साल बिजली खर्च में करीब 52 करोड़ रुपए की बचत हो रही है। 32.4 मेगावाट क्षमता के विंड प्रोजेक्ट्स से 47.20 करोड़ रुपए हर साल बच रहे हैं। वहीं छह मेगावाट क्षमता के सोलर पैनल से हर साल 5.20 करोड़ रुपए की बिजली खर्च की बचत हो रही है।
आइ स्मार्ट में सूरत शामिल देश में वर्ष 2022 तक सौर ऊर्जा से 40 गीगावॉट ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को आसान बनाने के लिए द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (टेरी) ने इसी वर्ष मई माह में लांच किए रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट आई-स्मार्ट में गुजरात के साथ ही उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के साथ ही साथ केंद्रशासित प्रदेशों दमन और दीव तथा दादरा एवं नागर हवेेली को शामिल किया है। इन राज्यों से २० माह में एक हजार मेगावाट ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसमें बड़ा हिस्सा गुजरात से आना तय है। गुजरात में भी सूरत की भागीदारी अहम रहेगी और यहां से दो सौ मेगावाट से अधिक का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
डामेस्टिक में भी सूरत की बड़ी भागीदारी डॉमेस्टिक सेक्टर में रूफटॉप सोलर सिस्टम को लेकर सूरत पहले से ही देशभर में आगे है। शहर में 6,000 घरों में करीब 40 मेगावाट क्षमता के सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। इस आंकड़े को सौ मेगावाट से आगे ले जाने की योजना है। इसके अलावा इंडस्ट्रियल और कमर्शियल सेग्मेंट में भी सौ मेगावाट से अधिक क्षमता के सोलर पैनल लगाने के लिए प्रयास किए जाने हैं। यदि ऐसा संभव हो पाया तो तय लक्ष्य में 20 फीसदी हिस्सेदारी सूरत की होगी।
मनपा का अहम रोल रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में सूरत महानगर पालिका का अहम रोल है। मनपा प्रशासन बीते करीब एक दशक से इस दिशा में काम कर रहा है। पवन चक्की लगाने के साथ ही सोलर पैनल लगाने में भी मनपा अन्य शहरों से कहीं आगे है। मनपा की कुल ऊर्जा खपत का करीब 33-34 फीसदी हिस्सा इसी रिन्यूएबल एनर्जी से आता है। आगामी वर्षों में सूरत मनपा इस हिस्सेदारी को 50 फीसदी तक ले जाने की योजना पर काम कर रही है।