फीस नहीं भरी तो होगी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद स्कूलों की फीस का मसला कायम है। शहर के स्कूलों की ओर से अभिभावकों पर अब प्रोविजनल फीस को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। स्कूल संचालकों का कहना है कि उनकी ओर से जो फीस पहले तय की गई थी, वही प्रोविजनल फीस है। इसलिए सभी को फीस अनिवार्य रूप से चुकानी होगी। ऐसा नहीं होने पर विद्यार्थियों पर कार्रवाई की जाएगी। सभी अभिभावकों को फरवरी के अंत तक फीस भरने को कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद स्कूलों की फीस का मसला कायम है। शहर के स्कूलों की ओर से अभिभावकों पर अब प्रोविजनल फीस को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। स्कूल संचालकों का कहना है कि उनकी ओर से जो फीस पहले तय की गई थी, वही प्रोविजनल फीस है। इसलिए सभी को फीस अनिवार्य रूप से चुकानी होगी। ऐसा नहीं होने पर विद्यार्थियों पर कार्रवाई की जाएगी। सभी अभिभावकों को फरवरी के अंत तक फीस भरने को कहा गया है।
अभिभावकों पर भार नहीं घटा
अभिभावकों को लगा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन समस्या जस की तस है। स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार की ओर से प्रोविजनल फीस की कोई रूपरेखा तैयार नहीं है। सरकार की ओर से स्कूल संचालकों को इस मामले में कोई आदेश भी नहीं मिला है। इसलिए उनकी तय फीस ही प्रोविजनल फीस है, जो अनिवार्य रूप से जमा करनी पड़ेगी। फीस के मामले को लेकर शहर की कई निजी स्कूलों के सामने अभिभावकों ने विरोध प्रदर्शन किए थे। बार-बार संचालकों के खिलाफ जिला शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री से शिकायत की गई, लेकिन फीस में किसी तरह की कमी नहीं आई है। किसी स्कूल ने अतिरिक्त फीस वापस करने की घोषणा भी नहीं की है। अभिभावकों का कहना है कि उनकी लड़ाई का कोई परिणाम नहीं निकला। स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं।
अभिभावकों को लगा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन समस्या जस की तस है। स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार की ओर से प्रोविजनल फीस की कोई रूपरेखा तैयार नहीं है। सरकार की ओर से स्कूल संचालकों को इस मामले में कोई आदेश भी नहीं मिला है। इसलिए उनकी तय फीस ही प्रोविजनल फीस है, जो अनिवार्य रूप से जमा करनी पड़ेगी। फीस के मामले को लेकर शहर की कई निजी स्कूलों के सामने अभिभावकों ने विरोध प्रदर्शन किए थे। बार-बार संचालकों के खिलाफ जिला शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री से शिकायत की गई, लेकिन फीस में किसी तरह की कमी नहीं आई है। किसी स्कूल ने अतिरिक्त फीस वापस करने की घोषणा भी नहीं की है। अभिभावकों का कहना है कि उनकी लड़ाई का कोई परिणाम नहीं निकला। स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं।