SURAT SOCIAL NEWS: गौसेवा से प्रसन्न होते हैं भगवान-साध्वी आराधनादीदी
भगवान सेवा से प्रसन्न नही होते है, वे तो सिर्फ गौ सेवा से ही प्रसन्न होते हैं
सूरत
Published: June 11, 2022 08:53:52 pm
सूरत. श्रीगौ पुत्र मित्र मंडल द्वारा सिटीलाइट में महाराजा अग्रसेन भवन के पंचवटी हॉल मे आयोजित पांच दिवसीय श्रीदिव्य गौ कृपा कथा के चौथे दिन शनिवार को व्यासपीठ से साध्वी आराधना गोपाल सरस्वती ने कहा आजकल लोग भगवान की बहुत सेवा करते है परन्तु भगवान सेवा से प्रसन्न नही होते है, वे तो सिर्फ गौ सेवा से ही प्रसन्न होते हैं। मोह-माया में इतना भी नहीं पड़े कि भगवान को ही भूल जाएं क्योंकि मोह-माया अंत समय में काम नहीं आएगी बल्कि अंत समय में भगवान ही काम आएंगे।
कथा में साध्वी ने दृष्टांत में बताया कि कुछ चोर थे और उनका एक गुरु था। वह लोग खूब चोरी करते थे। उनके गुरु ने उन्हें बताया कि खूब चोरी करो, लूटो, मार-काट करो मगर कभी भी सत्संग मत सुनना। एक चोर था उसका नियम था कि वह हर रोज चोरी करता ही था। सभी चोरों के घर लौटने के बाद वह चोर चोरी करने के उद्देश्य से एक गांव में गया, वहां सत्संग चल रहा था चोर ने सोचा कि सत्संग नही सुनना है तो अपने कान में अंगुली डालकर के चले जाता हूं मगर उसके उसी समय पांव में एक कांटा लग गया और वह उसको निकालने लगा तो सत्संग उसके कानों में पड़ा। उसने सुुना कि किसी की भलाई करनी चाहिए और थोड़ी देर में आगे जाता है तो देखता है कि गाय माता के घाव है। उसने उसे साफ किए और जंगल से जड़ी-बूटी लाकर लगाई और गौ माता कुछ दिन में ठीक हो गई। जब उसका अंतिम समय आया और यमदूत उसको लेकर गए तो चित्रगुप्त ने देखा कि उसके तो खाते में पाप ही पाप लिखे हुए है जब अंत में देखा तो एक जगह गौ माता की सेवा की हुई दिखाई दी। जिसके फलस्वरूप उसको बैकुंठ में भेज दिया। साध्वी ने कथा में आगे बताया कि मनुष्य को नशा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि भगवान ने मनुष्य के शरीर को नशे के लिए बनाया ही नहीं है। जो भी नशे के लिए मनुष्य तम्बाकू या बीड़ी-सिगरेट पीता है, उसका धूंआ बाहर फेंकना पड़ता है क्योंकि उसे शरीर स्वीकार ही नही करता है। अगर नशा करना है तो सिर्फ प्रभु के नाम का करो। बच्चों के मुंडन के बारे में बताया कि बच्चों के पूरे बाल नाई से उतरवाकर उस पर गुड़ और गाय माता के दूध को मिलाकर उसका स्वस्तिक बनाए और उसको गौ माता से चटाए, जिससे जो बच्चे के सिर पर नर्म हिस्सा है वहां ब्रह्म यंत्र होता है वह खुल जाता है। इस ब्रह्म यंत्र को खोलने के लिए ऋषि-मुनि वर्षों वर्ष तपस्या करते है तब जाकर मुश्किल से खुल पाता है। कथा का समापन रविवार को होगा।

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