scriptTheft with duplicate key : पहले कर्मचारियों की लेते थे मदद, फिर व्यापारी बन मार्केटों में घुसे, अब जिम्मेदारों से मिलीभगत ! | Surat textile market :Theft of fake keys has been going on from many y | Patrika News

Theft with duplicate key : पहले कर्मचारियों की लेते थे मदद, फिर व्यापारी बन मार्केटों में घुसे, अब जिम्मेदारों से मिलीभगत !

locationसूरतPublished: Jul 27, 2021 10:31:15 am

Submitted by:

Dinesh M Trivedi

– कपड़ा बाजार : वर्षो से चल रहा नकली चाबी से चोरी का गोरखधंधा…
– भूतकाल में सैकड़ों मामले और एक दर्जन से अधिक गिरोह पकड़े भी जा चुके हैं
– First used to take help of employees, then entered in markets as traders, now in collusion with the responsible !
– Hundreds of cases and more than a dozen gangs have been arrested so far.

Theft with duplicate key : पहले कर्मचारियों की लेते थे मदद, फिर व्यापारी बन मार्केटों में घुसे, अब जिम्मेदारों से मिलीभगत !

Theft with duplicate key : पहले कर्मचारियों की लेते थे मदद, फिर व्यापारी बन मार्केटों में घुसे, अब जिम्मेदारों से मिलीभगत !

दिनेश एम.त्रिवेदी

सूरत. सारोली स्थित आरआरटीएम मार्केट में चोरों का गिरोह सक्रिय होने की चर्चा हो रही हैं यह कोई नया खेल नहीं है। शहर के कपड़ा बाजार के विभिन्न मार्केटों में नकली चाबी के जरिए दुकानों व गोदामों से कपड़ा चुराने का गोरखधंधा वर्षो से चल रहा हैं। डेढ़ दशक पूर्व तक जब मार्केटों में सीसीटीवी कैमरे नहीं होते थे, तब भी समय समय पर ऐसे मामले सामने आते रहे थे और अब सीसीटीवी कैमरों के दौर में भी यह सिलसिला जारी है। पिछले दो दशकों में सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं और एक दर्जन से अधिक गिरोह भी पकड़े जा चुके हैं।
Theft with duplicate key : पहले कर्मचारियों की लेते थे मदद, फिर व्यापारी बन मार्केटों में घुसे, अब जिम्मेदारों से मिलीभगत !
सूत्रों की माने तो पूर्व में छोटे-छोटे मामले सामने आते थे। जिनमें कपड़ा व्यापारियों के यहां काम करने वाले ही दुकानों के नकली चाबी बना लेते थे। फिर दुकानदार की गैर मौजूदगी में मार्केट जाकर नकली चाबी के जरिए थोड़ा-थोड़ा कपड़ा पार कर देते थे। उन्हें पता होता था कि दुकान गोदाम में रखा कौन सा माल मालिक की नजर में नहीं या जिसके गायब होने का उसे पता नहीं चलेगा। वे बड़ी सफाई से छोटे पैमाने पर चुराया गया कपड़ा एकत्र करते थे और फिर उसे बेच देते थे। लेकिन जैसा की हर अपराधी के साथ होता हैं कभी न कभी कोई चूक या संयोग होता है और पकड़े जाते हैं।

शातिरों की ये मोडस ऑपरेंडी :
फिर ऐसे गिरोह सामने आने लगे जो कर्मचारियों को दुकानों पर काम के लिए रखवाते थे और फिर उनसे चोरी करवाते थे। ये गिरोह अन्य राज्यों से युवकों को सूरत लाते थे। फिर उन्हें विभिन्न व्यापारियों के यहां नौकरी पर लगवाते थे। फिर उनकी मदद से चोरी करते थे। साबुन पर चाबी छाप मंगवा कर नकली चाबी बना कर दे देते थे। या फिर अपने गिरोह के लोगों को भेज कर चोरी करवाते थे। इस तरह कई दुकानों से कपड़ा हासिल करते थे और फिर बेच कर मोटा मुनाफा कमाते थे। ये दौर भी लंबे समय तक चला और ऐसे कई गिरोह पकड़े भी गए। ऐसे मामलों के बाद मार्केटों में सुरक्षा इंतजाम भी कड़े किए गए।
व्यापारी सतर्क हुए तो तरीका भी बदला :

उसके बाद मार्केट में बकायदा बतौर व्यापारी दुकान किराए पर लेकर चोरी करने का दौर भी चला। उस दौर में चोर गिरोह के लोग व्यापारी का ढोंग बड़ी मार्केट में दुकान किराए पर लेते थे। उस दुकान में कपड़े का कारोबार करने का ढोंग करते थे, लेकिन असल में उनका काम चोरी का होता था। वे अगल- बगल की दुकानों के व्यापारियों से दोस्ती कर किसी तरह से दुकानों की चाबियों की छाप ले लेते थे।
Theft with duplicate key : पहले कर्मचारियों की लेते थे मदद, फिर व्यापारी बन मार्केटों में घुसे, अब जिम्मेदारों से मिलीभगत !
फिर नकली चाबियां बनवा लेते थे। रात में मार्केट बंद होने के समय काम होने के बहाने कर रुक जाते थे या फिर उनके गिरोह के एक जना रात में दुकान में ही छिप जाता था। सभी दुकानें बंद होने के बाद वे नकली चाबियों का इस्तेमाल कर अगल बगल की प्रत्येक दुकान से साडिय़ां चुरा लेते थे। अपनी दुकान में रख लेते थे। फिर अपनी दुकान से पार्सल बना कर चोरी का माल बेच देते थे।
पड़ौसी का सैम्पल दिखा कर आर्डर लेते थे :

उस दौर में कुछ शातिर तो ऐसे थे जो अपने पडोसी दुकानदारों द्वारा तैयार किए जाने वाले माल के सैम्पल अपने ग्राहकों को दिखाते थे। उनसे ऑर्डर लेते थे। फिर आर्डर के मुताबिक पड़ौस की दुकानों से कपड़ा चुरा कर अपने ग्राहकों के भेजते थे। ऐसे मामलों के चलते आखिरकार पीडि़त व्यापारियों को अपने यहां हो रही चोरी की घटनाओं का पता चला और ऐसे गिरोह पकड़े भी गए।

सुरक्षाकर्मियों और प्रबंधन से मिलीभगत का दौर :
मार्केटों में सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा के इंतजाम बढऩे के बाद सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ मिलीभगत का दौर शुरू हुआ। कुछ ऐसे गिरोह भी पकड़े गए जो मार्केट के सुरक्षाकर्मियों के साथ मिलीभगत करते थे और फिर बड़े पैमाने पर चोरी करवाते थे। ऐसे गिरोहों की पहुंच सिर्फ सुरक्षाकर्मियों तक ही समिति नहीं हैं, बल्कि मार्केट प्रबंधन के लोगों की लिप्तता भी सामने आ चुकी हैं। ऐसे गिरोह छुट्टी के दिन या रात में सुरक्षाकर्मियों और प्रंबधन की मदद से सीसीटीवी कैमरे बंद करवा कर अपने गिरोह को मार्केट में भेजते हैं। फिर नकली चाबियां बना कर दर्जनों दुकानों में चोरी करते हैं। फिर उस माल को टेम्पों में लदवा कर मार्केट से बाहर निकाल देते हैं।

आरकेटी में सक्रिय था सबसे बड़ा रैकेट :
रिंगरोड़ स्थित राधा कृष्णा टेक्सटाइल मार्केट में प्रबंधन और सुरक्षाकर्मियों की मिलीभगत से चोरी करने वाला अब तक का सबसे बड़ा चोरी का रैकेट सामने आ चुका हैं। एक व्यापारी की सतर्कता के चलते इस रैकेट का खुलासा होने पर पुलिस ने इसमें लिप्त प्रबंधन के लोगों व सुरक्षाकर्मियों समेत एक दर्जन से अधिक को गिरफ्तार किया था।
Theft with duplicate key : पहले कर्मचारियों की लेते थे मदद, फिर व्यापारी बन मार्केटों में घुसे, अब जिम्मेदारों से मिलीभगत !
पुलिस ने रिंग रोड पर व लिम्बायत में चोर गिरोह के गोदाम पर छापा मार कर डेढ़ करोड़ का कपड़ा जब्त किया था। हालांकि यह गिरोह मार्केट में कितने समय से सक्रिय था और कितने करोड़ का कपड़ा चुराया गया इसका स्पष्ट आंकड़ा सामने नहीं आया। क्योंकि कई व्यापारियों को ही पता नहीं हैं कि उनकी दुकानों से कितना कपड़ा चोरी हुआ।

सफाई से करते हैं चोरी, अपनी गलतियों से ही पकड़े गए
नकली चाबी का इस्तेमाल करने वाले गिरोह बेहद सफाई से चोरी करते हैं। जिसके चलते किसी को व्यापारियों को भनक तक नहीं लगती कि उनकी दुकान में चोरी हुई हैं। वे अधिकतर उन्हें बडे व्यापारियों की दुकानों और गोदामों को निशाना बनाते हैं कि जिनके यहां स्टॉक का दैनिक हिसाब किताब रखना या अंदाज लगाना मुश्किल हो।
कई व्यापारी भी लापरवाही बरतते हैं। फिर वे उन दुकानों व गोदामों से स्टॉक के हिसाब से सिर्फ बहुत कम मात्रा में कपड़ा चुराते हैं, ताकी भनक तक नहीं लगे। पूर्व जो गिरोह पकड़े गए वे अपनी ही गलतियों से पकड़े गए। उन्हें लालच में अधिक माल चुराया तब व्यापारियों को संदेह हुआ। आरकेटी मार्केट में ही ऐसा ही हुआ था। व्यापारी की दुकान में नया माल चोरी किया गया। जिसके चलते व्यापारी को संदेह हुआ और फिर पूरा मामला सामने आया।
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