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सूरतीयों को मलाल है, ‘पद्मावत’ नहीं आई

locationसूरतPublished: Jan 26, 2018 08:12:53 pm

विरोध के कारण ‘पद्मावत’ को सूरत में प्रदर्शित नहीं किए जाने पर सूरत के लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। ज्यादातर का कहना है कि न तो फिल्म को लेकर

Suriname is Malala, Padmavat does not come

Suriname is Malala, Padmavat does not come

सूरत।विरोध के कारण ‘पद्मावत’ को सूरत में प्रदर्शित नहीं किए जाने पर सूरत के लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। ज्यादातर का कहना है कि न तो फिल्म को लेकर हो रही हिंसा उचित है और न ही इसका प्रदर्शन रोकना। फिल्म प्रदर्शित होने के बाद अगर कुछ आपत्तिजनक लगता तो शांतिपूर्ण विरोध किया जाना चाहिए था।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से प्रदर्शन की हरी झंडी मिलने के बावजूद विरोध प्रदर्शन और हिंसक घटनाओं के कारण ‘पद्मावत’ सूरत समेत कई शहरों में गुरुवार को प्रदर्शित नहीं हो सकी। सूरत के लोगों का कहना है कि किसी फिल्म को इस तरह प्रदर्शित नहीं होने देना उचित नहीं है। फिल्म का प्रदर्शन नहीं होने के बावजूद शहर के कई थिएटरों और मॉल के बाहर गुरुवार को पुलिस का कड़ा बंदोबस्त रहा। दूसरी तरफ अठवागेट क्षेत्र में वनिता विश्राम के पास करणी सेना का धरना प्रदर्शन गुरुवार को दूसरे दिन भी जारी रहा।

एक बार देख लेते

&फिल्म यहां प्रदर्शित हुई नहीं तो कैसे पता चले कि इसमें किसी का अपमान हुआ है या नहीं। फिल्म देखने के बाद विरोध के बारे में तय करना था। फिल्म को लेकर जिस तरह से विरोध प्रदर्शन हो रहा है, उचित नहीं है।पूर्वी संचेती, छात्रा

रिलीज होनी चाहिए थी

&‘पद्मावत’ रिलीज होनी चाहिए थी। फिल्म को मनोरंजन के रूप में देखा जाए। जो विरोध हो रहा है, ठीक नहीं है। लोग इस फिल्म से इतिहास के बारे में भी जानते। फिल्म में कुछ आपत्तिजनक होता तो कानून का सहारा लिया जा सकता था।अनुपम गोयल, संचालक, आईडीटी

जन सुरक्षा पहले

&फिल्म से ज्यादा लोगों की सुरक्षा जरूरी है। फिल्म प्रदर्शित होती तो थिएटर में हजारों लोग होते। किसी तरह की अनहोनी से लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती। जन हानि होती तो जिम्मेदार कौन होता? फिल्म को लेकर हिंसा उचित नहीं है।नीरज शुक्ला, कर्मचारी

लोग ही फैसला करते

&फिल्म मनोरंजन के लिए होती है। ‘पद्मावत’ में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर बताया गया था तो लोग ही इसे खारिज कर देते। इतिहास की गलत प्रस्तुति कोई भारतीय पसंद नहीं करेगा।
राजेश माहेश्वरी, स्कूल संचालक

दूसरे हुए परेशान

&एक फिल्म को लेकर जिस तरह देशभर में प्रदर्शन हो रहा है, वह गलत है। विरोध का भी एक तरीका होता है। विरोध के नाम पर हिंसा हो रही है। एक फिल्म के लिए दूसरों को परेशान करना उचित नहीं है।
कौषिक चेवली, व्यापारी

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