सूरत. कोरोना संक्रमण के दौर से बाहर निकलने के लिए जहां दूसरे सेक्टर्स को खासी मेहनत करनी पड़ रही है, सूरती घारी ने अपने लिए बाजार खोज लिए हैं। विदेशों में बसे सूरती घारी के शौकीनों ने अपने मित्रों-परिचितों के माध्यम से ऑर्डर भेजने शुरू कर दिए हैं। शहर के मिठाई विक्रेताओं ने भी ऑर्डर की पहले खेप अमरीका समेत दूसरे देशों को रवाना कर दी है। माना जा रहा है कि यह सिलसिला शरद पूर्णिमा से पहले तक जारी रहेगा।
देशभर में शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा को खीर अर्पण करने का रिवाज है, वहीं सूरती शरद पूर्णिमा के अगले दिन चांदनी पडवा पर घारी का भोग लगाते हैं। सूरती इस दिन खास सूरत में बनने वाली घारी को लेकर खासे उत्साहित रहते हैं और एक ही दिन में लाखों रुपए की घारी चट कर जाते हैं। यह सिलसिला यहीं नहीं थमता। शहर से देश के ही दूसरे शहरों और विदेशों मेें गए लोग अपने मित्रों-परिचितों से घारी के पार्सल मंगाते हैं।
माना जा रहा था कि कोरोना संक्रमण के कारण इस बार बाहर जाने वाली घारी पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं। शरद पूर्णिमा नजदीक आने के साथ ही घारी के कारोबार को भी पंख लग गए हैं। सूरत से अमरीका, लंदन, दुबई, शारजाह, ऑस्टे्रेलिया, बैंकाक समेत कई दूसरी जगहों पर बसे सूरतीयों की डिमांड पर उनके परिचितों और मिठाई विक्रेताओं ने पार्सल तैयार करने शुरू कर दिए हैं। सूरत से बाहर गए लोगों में सबसे ज्यादा लोग अमरीका में बसे हैं, इसलिए ऑर्डर भी वहीं के अधिक मिले हैं। जानकारों के मुताबिक इस बार शहर के मिठाई विक्रेताओं के पास इस बार पांच हजार किलो से ज्यादा घारी के ऑर्डर मिले हैं। इसकी पहली खेप तो कई मिठाई विक्रेताओं ने रवाना भी कर दी है।
सालभर रहता है इंतजार
शहर में यूं तो घारी अब वर्षभर मिल जाती है, लेकिन घारी खाने के लिए लोगों को अब भी चांदनी पडवा का इंतजार रहता है। नवरात्र और दीपावली के बीच पडऩे वाला यह पर्व घारी की वजह से सूरतीयों के लिए खास हो जाता है। मिठाई विक्रेता विशाल हलवाला ने बताया कि इस बार कोरोना के कारण बाहर से ऑर्डर देरी से मिले, लेकिन उम्मीद से काफी बेहतर रिस्पांस मिला है। मिठाई विके्रताओं ने अब तक मिले ऑर्डर का शिपमेंट भी शुरू कर दिया है। बरसों से अमेरिका में रह रही जागृति पानवाला ने बताया कि इस बार घारी खाने को मिलेगी इसकी उम्मीद नहीं थी। लेकिन जिस तरह से सूरत में कारोबार अनलॉक हुआ है, चांदनी पडवा का पर्व घारी के साथ ही मनाएंगे।