scriptनोटबंदी की मार से नहीं उभरा कपड़ा उद्योग | Textile industry not emerged from the ban | Patrika News

नोटबंदी की मार से नहीं उभरा कपड़ा उद्योग

locationसूरतPublished: Nov 07, 2018 04:02:31 pm

Submitted by:

Pradeep Mishra

नोटबंदी के बाद रही-सही कसर जीएसटी ने पूरी कर दी

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नोटबंदी की मार से नहीं उभरा कपड़ा उद्योग

सूरत

दो साल पहले की नोटबंदी के असर से सूरत का कपड़ा उद्योग अब तक नहीं उभर सका है। नोटबंदी के बाद रही-सही कसर जीएसटी ने पूरी कर दी। सूरत के लिए कपड़ा और हीरा उद्योग रीढ़ की हड्डी के समान हैं। नोटबंदी से पहले यहां ज्यादातर काम नकद में होता था। नोटबंदी के कारण यह चेक या डिजिटल में बदल गया है, लेकिन ज्यादातर को यह रास नहीं आ रहा है। नोटबंदी और जीएसटी के असर के कारण लगभग दो लाख लूम्स मशीनें बंद हो गईं तथा 50 डाइंग प्रोसेसिंग यूनिट बंद होने की कगार पर हैं।
सूरत के उद्यमियों का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापार की हालत पतली कर दी है। नोटबंदी के बाद ज्यादातर काम चेक के माध्यम से होने के कारण उद्यमियों की दिक्कतें बढ़ी हंै। पहले वह खुले हाथ से नकदी में काम करते थे और बाद में उसे हिसाब में एडजस्ट कर लेते थे, लेकिन नोटबंदी के बाद उन्हें पूरी नकदी का हिसाब रखना पड़ता है। उन्हें आवश्यक खर्च के लिए भी विचार करना पड़ता है।
नहीं उभरा कपड़ा उद्योग
दो साल पहले की नोटबंदी से कपड़ा उद्योग अभी तक नहीं उभर सका है। बाजार में आर्थिक तरलता की कमी बनी हुई है। बाजार को इससे निकलने में समय लगेगा। बाजार को इससे निकलने में समय लगेगा।
कमलेश कोठारी, व्यापारी
उद्यमियों के लिए चुनौती
नोटबंदी के बाद कपड़ा उद्योग मुश्किल दौर से निकल ही रहा था कि जीएसटी लागू हो जाने से दिक्कत और बढ़ गई। कपड़ा उद्यमियों के लिए यह बड़ी चुनौती है। जीएसटी के नियम सरल नहीं होने के कारण व्यापार कर पाना मुश्किल हो गया है।
गिरधर गोपाल मूदड़ा, व्यापारी
जीएसटी ने मारा
नोटबंदी के बाद जीएसटी ने कपड़ा उद्योग को परेशान कर रखा है। जीएसटी के नियम सरल नहीं होने के कारण व्यापार कर पाना मुश्किल हो गया है।
श्रीकृष्ण बंका, व्यापारी

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