सूरत अमरीका सहित यूरोप के देशों में हीरों की डिमांड नहीं होने के कारण भारत के हीरा उद्योग पर असर पड़ा है। पिछली फरवरी में 889.59 मिलियन यूएस डॉलर की गोल्ड ज्वैलरी का निर्यात हुआ था, जो इस फरवरी में 97 फीसदी बढ़कर 8659.54 यूएस मिलियन डॉलर पर पहुंच गया
दुनिया में तैयार होने वाले कट और पॉलिश्ड हीरों में 90 प्रतिशत से ज्यादा सूरत में तैयार किए जाते हैं, जो ज्यादातर अमरीका और यूरोप के देशों में निर्यात होते हैं। विदेशों में तेजी हो तो यहां से ज्यादा हीरे निर्यात होते हैं, लेकिन पिछले दिनों अमरीका और यूरोप में डिमांड कम होने के कारण निर्यात पर असर पड़ रहा है। सूरत के व्यापारियों को उम्मीद थी कि फरवरी में वेलेंटाइन डे होने के कारण हीरों का निर्यात बढ़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 की फरवरी में 2426.86 यूएस मिलियन डॉलर के हीरों का निर्यात हुआ था। इसके मुकाबले चालू वर्ष में 2414.61 यूएस मिलियन डॉलर के हीरों का निर्यात हुआ। यह मात्र 0.51 प्रतिशत बढ़ोतरी है। पिछली फरवरी में 889.59 मिलियन यूएस डॉलर की गोल्ड ज्वैलरी का निर्यात हुआ था, जो इस फरवरी में 97 फीसदी बढ़कर 8659.54 यूएस मिलियन डॉलर पर पहुंच गया। हीरा उद्यमियों के अनुसार विदेश से ऑर्डर घट रहे हैं और घरेलू बाजार में भी परिस्थिति अच्छी नहीं होने के कारण हीरा उद्यमियों में निराश का माहौल है। इस असर व्यापार पर दिख रहा है।
कटिंग, फोल्डिंग चार्ज और मजदूरी बढ़ाने की उठी आवाज सूरत जिला टैक्सटाइल मार्केटिंग ट्रांसपोर्ट लेबर यूनियन की ओर से कपड़ा बाजार में कटिंग, फोल्डिंग चार्ज और मजदूरी बढ़ाने की मांग की गई है। यूनियन की ओर से सभी मार्केट प्रबंधन को नई दरों की सूची भेजी जा रही है।
यूनियन का कहना है कि पिछले कुछ साल से महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसके मुकाबले कपड़ा बाजार में कटिंग, फोल्डिंग और मजदूरी की दर में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। इससे मजदूरों की हालत पतली होती जा रही है। इसे
ध्यान में रखते हुए यूनियन ने कटिंग, फोल्डिंग और मजदूरी की दरें तय की हैं। मार्केट प्रबंधन से इसे एक अप्रेल से मान्य करने की मांग की गई है