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व्यापारी बोले- जीएसटी से बर्बाद हो रहा है सूरत का कपड़ा उद्योग, बचा लो

locationसूरतPublished: Jul 29, 2018 09:09:11 pm

जीएसटी का एक साल पूरे होने पर सूरत के उद्यमियों से इसके अनुभव साझा करने आए जीएसटी अधिकारियों के समक्ष कपड़ा उद्यमियों ने…

The trader says- Surat's textile industry is being wasted from GST, save

The trader says- Surat’s textile industry is being wasted from GST, save

सूरत।जीएसटी का एक साल पूरे होने पर सूरत के उद्यमियों से इसके अनुभव साझा करने आए जीएसटी अधिकारियों के समक्ष कपड़ा उद्यमियों ने नाराजगी के साथ अपनी वेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जीएसटी पर अमल बेहतरी के लिए किया गया था, लेकिन इसके कारण सूरत का उद्योग बर्बादी की ओर बढ़ रहा है। सरकार को इसकी सुध नहीं है। सरकार को लगता है कि सूरत के उद्यमी टैक्स नहीं भरना चाहते।


जीएसटी विभाग की ओर से सरसाणा के इंटरनेशनल एग्जिबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को आयोजित ओपन हाउस में कपड़ा उद्यमियों ने तीन घंटे तक अपना दर्द व्यक्त किया।

कपड़ा व्यापारी आशीष गुजराती, भरत शाह, सुरेश पटेल और अशोक जीरावाला ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक वीवर्स का लगभग 700 करोड़ रुपए का क्रेडिट रिफंड सरकार के पास जमा है, हम बार-बार इसके लिए सरकार से मांग कर रहे हैं, लेकिन तारीख पर तारीख दी जा रही है। आखिर कपड़ा उद्यमियों को रिफंड क्यों नहीं दिया जा रहा है? कपड़ा उद्यमी नारायण अग्रवाल ने कहा कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के कारण कपड़ा उद्योग की हालत पतली हो रही है। स्पिनिंग, वीविंग, प्रोसेसिंग और एम्ब्रॉयडरी, सभी जगह कच्चा माल 12 प्रतिशत तथा तैयार माल पर पांच प्रतिशत होने से टैक्स क्रेडिट बच रहा है। इसके अलावा विदेश से आयात मशीनों पर 18 प्रतिशत आइजीएसटी रिफंड नहीं मिलने से यह भी गंवाना पड़ रहा है। कपड़ा उद्योग का विकास रुक गया है। कपड़ा व्यापारी रंगनाथ सारड़ा ने कहा कि जीएसटी में पचास हजार से कम कीमत पर इ-वे बिल का प्रावधान नहीं है, लेकिन ट्रांसपोर्टर इसके लिए परेशान करते हंैं। आइटीसी-04 रिटर्न को रद्द किया जाए, नहीं तो छोटे व्यापारी परेशान हो जाएंगे।

वीवर देवेश पटेल ने कहा कि सरकार में बैठे लोगों को सूरत के व्यापारियों के बारे में गलतफहमी है कि हम टैक्स नहीं भरना चाहते। यह गलतफहमी दूर होनी चाहिए। मजदूर संगठन के एक सदस्य ने कहा कि जीएसटी के कारण दुकानें बंद होने से पार्सल, पैकिंग और छुटपुट काम करने वाले बेरोजगार हो रहे हैं। मजदूर संगठन से जुड़े उमाशंकर मिश्रा ने कहा कि लोगों के पास काम नहीं होने से वह अपने बच्चों का मनपा के स्कूल में दाख्रिला करवा रहे हैं और कई श्रमिक पलायन कर गए हैं। यार्न उद्यमी विनय अग्रवाल ने कहा कि सरकार कई क्षेत्रों में ऋण माफ कर रही है और कपड़ा उद्योग में हर स्तर पर अलग-अलग टैक्स होने से उद्यमियों के करोड़ो रुपए टैक्स क्रेडिट फंसे हैं। यह रिफंड क्यों नहीं दिया जा रहा है।

करोड़ों का निवेश, करोड़ों का घाटा

एक एनआरआइ ने जीएसटी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उसने करोड़ों रुपए का निवेश कर भिलाड में यार्न का प्रोजेक्ट शुरू किया। जीएसटी के नियम के कारण उसे करोड़ों का नुकसान हो रहा है। यार्न के कच्चे माल पर 12 प्रतिशत और यार्न पर पांच प्रतिशत जीएसटी होने से हर महीने 60 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा इस पर आयकर भी भरना पड़ सकता है। ऐसे में मेक इन इंडिया कैसे सफल होगा। ओपन हाउस के दौरान कई बार उद्यमियों का आक्रोश फूट पड़ा और उन्हें शांत कराना पड़ा।

कुछ मुद्दों पर विचार, फैसला जल्द

जीएसटी विभाग की ओर से आए उच्च अधिकारी योगेन्द्र गर्ग और राज्य सरकार के जीएसटी कमिश्नर पी.डी. वाघेला ने बताया कि कपड़ा उद्यमियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड करने, आइटीसी-04 और रिटर्न प्रणाली सरल करने तथा व्यापारियों की पैनल्टी माफ करने के बारे में विचार चल रहा है। जल्द ही इन पर निर्णय आ जाएगा। सरकार व्यापारियों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है, इसलिए निराश होने की जरूरत नहीं है।

परेशान करने की शिकायत

ओपन हाउस के दौरान प्लायवुड के व्यापारियों ने कहा कि जांच के नाम पर स्टेट जीएसटी के अधिकारी व्यापारियों को परेशान कर रहे हैं। प्लायवुड़ अन्य राज्यों से आता है। रास्ते में जीएसटी के अधिकारी माल पकड़ते हैं और वेल्युएशन का अधिकार नहीं होने पर भी माल की कीमत ज्यादा बताकर गलत ढंंग से टैक्स तथा पैनल्टी वसूल रहे हैं। कुछ मामलों में तो व्यापारी प्लायवुड की कीमत से भी ज्यादा टैक्स और पैनल्टी दे रहे हैं।

होटल उद्यमियों ने रखी मांग

साउथ गुजरात होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट सनत रेलिया ने कहा कि होटल के कमरों पर 12,18 और 28 प्रतिशत जीएसटी है। होटल में डिस्काउंट के बाद मूल रकम पर जीएसटी गिना जाता है। इससे ग्राहकों को गलतफहमी होती है। इसलिए वास्तविक ट्रांजेक्शन पर टैक्स की व्यवस्था की जानी चाहिए।

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