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कंपनी का कोई रजिस्ट्रेशन ही नहीं था

locationसूरतPublished: Jul 29, 2018 08:41:19 pm

अंकित मेहता ने लाजपोर जेल प्रशासन के साथ जिस एम.के.फूड्ज यूनिवर्सल ग्रुप कंपनी के नाम से एमओयू साइन किया था, उसका…

There was no registration of the company

There was no registration of the company

सूरत।अंकित मेहता ने लाजपोर जेल प्रशासन के साथ जिस एम.के.फूड्ज यूनिवर्सल ग्रुप कंपनी के नाम से एमओयू साइन किया था, उसका उसने रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाया था।


मामले की जांच कर रहे सीआइडी के पुलिस उप निरीक्षक एम.एस. सरवैया ने बताया कि अंकित ने नवसारी में स्टेट बैंक से नौ लाख रुपए का लोन लेने के लिए जो दस्तावेज दिए थे, उनमें एमओयू के साथ एक.के.फूड्ज यूनिवर्सल ग्रुप का पता लाजपोर सेंट्रल जेल दिया था। और कोई स्थाई पता नहीं दिया गया था।

 

एम.के.फूड्ज यूनिवर्सल ग्रुप का बतौर कंपनी रजिस्ट्रेशन भी नहीं करवाया गया था। उसे प्रोपराइटरशिप बताया गया था, लेकिन प्रोपराइटरशिप के लिए सूरत या नवसारी में गुमास्ताधारा के तहत लाइसेंस नहीं लिया गया था। अंकित और भावेश्री को हिरासत में लेने के लिए सीआइडी ने कवायद शुरू कर दी है। सरवैया ने कहा कि उनसे पूछताछ के बाद ही इस प्रकरण के बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकेगा।

उल्लेखनीय है कि डांग सीएसआर प्रकरण में पुलिस के हत्थे चढ़े बंटी-बबली अंकित और भावेश्री ने डांग जिला प्रशासन के अलावा लाजपोर जेल तथा स्टेट बैंक के साथ भी धोखाधड़ी की थी। तीन साल पहले उन्होंने जेल से कैदियों के कल्याणार्थ फर्जी एमओयू कर बैंक से ९ लाख रुपए का लोन लिया था। इस संबंध में लाजपोर जेल प्रशासन ने मंगलवार को सीआइडी (क्राइम) की सूरत इकाई में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।

भावेश्री की जमानत पर 18 को फैसला

डांग में आदिवासी किसानों के लिए दुबई की कंपनी के सीएसआर फंड से करोड़ों खर्च करने की बात कर ठगी करने वाली एनजीओ संचालिका भावेश्री दावड़ा की जमानत अर्जी पर गुरुवार को आहवा जिला और सत्र न्यायलय में सुनवाई हुई। इसमें पुलिस ने सरकारी विभाग की ओर से छपवाए टेंडर विज्ञापन में भावेश्री के हस्ताक्षर होने की बात कही। इस पर आरोपी के वकील ने विज्ञापन किसके इशारे पर छपा, सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल होने पर अब तक शिकायत क्यों नहीं की गई आदि सवाल उठाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट 18 जुलाई को फैसला करेगा।

डांग जिले में दुबई की यूनिवर्सल रोबो इनोवेशन कंपनी के सीएसआर फंड से 25 करोड़ रुपए खर्च करने का झांसा देकर किसानों से ठगी करने के प्रकरण में आरोपी भावेश्री दावड़ा की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। इसमें पुलिस ने आरोपी भावेश्री के साथी अंकित महेता के नाम अलग-अलग 14 कंपनियां और उसके 21 बैंक खाते होने की बात कोर्ट के समक्ष रखी। वहीं, भावेश्री की वकील दीपिका चावड़ा ने दलील दी कि रिमांड के दौरान भावेश्री से कुछ नहीं मिला, इसलिए पुलिस अंकित के दस्तावेज का हवाला दे रही है। वकील ने सवाल उठाया कि पुलिस ने आइपीसी की धारा 467 किस आधार पर रखी।

इसके जवाब में पुलिस ने आरोपी भावेश्री की एनजीओ डांग कृषि विकास सेल की ओर से समाचारपत्रों में छपे टेंडर विज्ञापनों में भावेश्री के हस्ताक्षर होने की बात कही। भावेश्री की वकील ने कलक्टर को ही जिम्मेदार ठहराते हुए समग्र प्रकरण को षड्यंत्र बताया। वकील ने कोर्ट के सामने दलील रखी कि डांग कृषि विकास सेल का गठन कलक्टर द्वारा ही किया गया था। अगर भावेश्री ने अपने हस्ताक्षर से जिला माहिती विभाग के माध्यम से गलत तरीके से विज्ञापन छपवाया है तो कलक्टर या संबंधित विभाग ने विरोध क्यों नहीं किया। विज्ञापन फर्जी थे, तो कलक्टर को लोकहित में समाचारपत्रों में चेतावनी छपवानी चाहिए थी या भावेश्री के खिलाफ शिकायत करनी थी। आज तक इस मामले में कोई शिकायत तक नहीं हुई है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद जमानत पर फैसला 18 जुलाई पर टाल दिया।

गौरतलब है कि डांग कृषि विकास सेल की संचालिका भावेश्री दावड़ा की ओर से डांग जिला माहिती विभाग के माध्यम से कुछ माह पूर्व दैनिक समाचारपत्रों में दो टेंडर विज्ञापन छपवाए गए थे। इसमें से एक 100 होर्डिंग्स पर 1 वर्ष तक बैनर लगाने का था, जबकि दूसरा डांग की तीनों तहसीलों में नौ जगह फूड्स कलेक्शन यूनिट बनाने का। इसमें होर्डिंग्स पर विज्ञापन के बैनर बनवाने में इन्डोटेक कंपनी के नाम का डीडी बनवाना था, वहीं फूड्स कलेक्शन यूनिट के लिए अंकित की एमके फूड्स कंपनी का डीडी बनाना था।

उल्लेखनीय है कि सूरत की लाजपोर जेल में कैदियों को रोजगार देने के नाम पर जिस कंपनी के नाम से ठगी हुई थी, वह एमके फूड्स ही है। वहीं, डांग माहिती विभाग के मुताबिक टेंडर विज्ञापन छपवाने के लिए कलक्टर के पीए ने टेलीफोन पर सूचना दी थी और बाद में लिखित पत्र देने को भी कहा था। सवाल उठता है कि विज्ञापन किसके इशारे पर छपे और उसमें डांग कृषि विकास सेल के साथ निजी कंपनियां इन्डोटेक तथा एमके फूड्स कैसे आए। डांग पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच करें तो बड़ा खुलासा हो सकता है।

वड़ोदरा पुलिस ने लिया भावेश्री का कब्जा


डांग जिले में किसानों से ठगी करने का प्रकरण सामने आने के बाद बंटी-बबली अंकित और भावेश्री के खिलाफ राज्य के अन्य शहरों में भी धोखाधड़ी की शिकायतें ंदर्ज की जा रही हैं। 8 जुलाई को वड़ोदरा के जेपी रोड थाने में अंकित और भावेश्री की एनजीओ के खिलाफ ठगी की शिकायत दर्ज करवाई गई थी। इसके आधार पर वड़ोदरा पुलिस ने गुरुवार को आहवा कोर्ट में ट्रांसफर वारंट देकर भावेश्री का कब्जा लिया। वहीं, सूरत सीआइडी क्राइम ने भी आहवा कोर्ट में आरोपी भावेश्री का कब्जा लेने के लिए गुरुवार को ट्रांसफर वारंट रखा। वड़ोदरा पुलिस की जांच के बाद सूरत जोन सीआइडी क्राइम को भावेश्री का कब्जा मिलेगा।

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