सूरत

third anniversary of demonetisation: नोटबंदी के बाद अब तक नहीं सुधरे हालात

नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ पर विशेषनोटबंदी से पिछले तीन वर्ष में 800 से ज्यादा उद्योग प्रभावित हुएमजदूरों को रोजगार मिलना मुश्किल हो गया
Special on the third anniversary of demonetisationDemonetisation affected more than 800 industries in last three yearsWorkers find it difficult to get employment

सूरतNov 07, 2019 / 10:36 pm

Sunil Mishra

third anniversary of demonetisation: नोटबंदी के बाद अब तक नहीं सुधरे हालात

सिलवासा. केन्द्र सरकार के 8 नवम्बर 2016को हुए नोटबंदी फैसले को तीन वर्ष पूर्ण हो गए हैं। सरकार के इस निर्णय से कालाधन पर कुछ हद तक अंकुश लगा है। कालाधन से जुड़ी फर्जी फाइनेंस कंपनी, इन्वेस्टमेंट के प्राइवेट बैंक, जमाखोरों का धंधा बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अवैध कारोबार, काले उद्योग एवं व्यापार बंद हो गए हैं। इससे प्रभावित रोजगार पर भी खासा प्रतिकूल असर पड़ा है। जिला उद्योग केन्द्र के अनुसार नोटबंदी से पिछले तीन वर्ष में 800 से ज्यादा उद्योग प्रभावित हुए है।
बैंकिंग कामकाज में वृद्धि
नोटबंदी से बैंकिंग कार्यप्रणाली को बढ़ावा मिला है। नोटबंदी के बाद प्रदेश के विभिन्न बैंकों में 80 हजार से अधिक नए खाते खुले हैं। सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत श्रमिक से लेकर कर्मचारियों एवं अधिकारियों की सैलरी बैंकों से होने लगी है। बैंक अधिकारियों के अनुसार युवाओं को डेरी फार्मिंग, इलेक्ट्रिक रोजगार, फूड प्रोसेस, ब्यूटी पॉर्लर, कृषि एवं दुग्ध उद्योग, मोटर वाइङ्क्षडग, ज्वैलरी मैकिंग, घरेलू उपकरण सर्विस आदि के लिए सस्ते ऋण मिलने लगे हैं।

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रेजगारी की समस्या हल
नोटबंदी के बाद बाजारों में कैशलेस का प्रचलन बढ़ा है। इससे रेजगारी एवं छूटे पैसे की समस्या से निजात मिली है। दुकानों पर स्वाइप मशीन व मोबाइल नेट बैंकिंग कुछ हद तक सफल हुई है। पहले रेजगारी एवं छुट्टे पैसों की कमी से ग्राहक एवं व्यापारी दोनों ही परेशान रहते थे। बाजारों में दस रुपए तक रेजगारी की भारी किल्लत रहती है। रेजगारी के अभाव से व्यापारी ग्राहकों को टॉफी या अन्य सामान थमा देते थे। कैशलेस में ज्वैलर्स, कपड़ा, राशनिंग, मेडिकल, इलेक्ट्रिकल, हार्डवेयर, बर्तन, स्टेशनरी और छोटे होटल व्यापारी आदि सभी जुड़ गए हैं। ई-बैंकिंग के कारण इलेक्ट्रिक बिल, टेलीफोन व मोबाइल के रिचार्ज भी ई-बैंकिंग से होने लगा है।

रीयल स्टेट पर असर
केन्द्र सरकार के नोटबंदी फैसले ने रियल स्टेट को खासा प्रभावित किया। जमीन जायदाद व आवासीय प्रोजेक्ट के फ्लेटों की खरीद के लिए ब्लैक मनी आड़े आने से भाव तेजी से गिरे हैं। तहसीलदार टी एन शर्मा ने बताया कि नोटबंदी के बाद जमीन, प्लॉट, भूखण्ड व खेतों की खरद-बिक्री के पंजीयन आवेदन नोटबंदी के बाद चौथाई रह गए हैं। आवासीय कॉलोनियों एवं नए प्रोजेक्ट में फ्लैट्स की बिक्री के आवेदन दिन में बड़ी मुश्किल से एक दो ही मिलते हैं। लोग सरकार की भावी योजनाओं को देखते हुए मकान कम खरीदना चाहते हैं। सिलवासा, आमली, सामरवरणी, दादरा, नरोली, मसाट और खानवेल में सैकड़ो नई सोसायटियां विकसित हो रही हैं। कई जगह निर्मार्णाधीन प्रॉजेक्टों का काम रुक सा गया है।

रोजगार के हालात नहीं सुधरे
नोटबंदी के तीन वर्ष बाद रोजगार के हालात नहीं सुधरे हैं। सार्वजनिक व प्राइवेट सेक्टरों में काम के लिए पहले मजदूर नहीं मिलते थे, अब मजदूरों को काम नहीं है। औद्योगिक इकाइयों में मजदूरों की भर्ती बंद हो गई है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों में मजदूरों की छुट्टी हो रही है। आए दिन उद्योगों से मजदूर निकाले जा रहे हैं। दहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों को रोजगार मिलना मुश्किल हो गया है। उद्योग, कारखाने, संस्थान, होटल में काम करने वाले दैनिक वेतनभोगी मजदूरों की मांग नहीं रही। रोज की कमाई पर आश्रित मजदूरों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। दिहाड़ी मजदूर घर, दफ्तर, लेबर कॉन्ट्रेक्टर, इमारत निर्माण आदि कार्यो में लगे हैं। रीयल स्टेट सेक्टर ठप रहने से मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। मजदूरों का कहना है कि अब कम मेहनताने में काम करने को तैयार हैं। काम नहीं मिलने से पलायन के अलावा विकल्प नहीं है।

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