इसलिए लग जाता है विराम
धनुर्मलमास के बारे में बताते हुए ज्योतिषी पं. घनश्याम भारद्वाज ने कहा कि शास्त्रोक्त सभी तरह के शुभ कार्यों में गुरु (ग्रह) आशीर्वाद व पुण्य प्रदानकारी होने से सभी शुभ कार्यों में गुरु का मजबूत होना आवश्यक रहता है। सभी तरह के सुख का कारक गुरु होने से शास्त्रसम्मत इसकी प्राथमिकता प्रत्येक मांगलिक प्रसंग में रहती है। लेकिन जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है जो कि गुरु ग्रह की मूल त्रिकोण राशि है, तब गुरु इनके तेज के कारण अपना मूल प्रभाव छोड़ देता है। प्रत्येक वर्ष 15 दिसम्बर के करीब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है और करीब एक माह तक रहता है। इसके बाद 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इसे मकर संक्रांति भी कहा जाता है। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के बाद गुरु ग्रह फिर से मजबूत स्थिति में आता है और इसके बाद शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
सावों का चलेगा अगले वर्ष लम्बा दौर
ज्योतिषी डॉ. हरीश जोशी ने बताया कि 16 दिसम्बर से धनुर्मलमास शुरू होने के बाद मांगलिक कार्यक्रमों पर करीब एक माह 14 जनवरी तक विराम लगा रहेगा, लेकिन इसके बाद फिर से सावों का लम्बा दौर चलेगा जो कि अगले वर्ष जून तक जारी रहेगा। हालांकि अगले वर्ष भी गुरु अस्त, होलाष्टक, शुक्र अस्त की अवधि के दौरान वैवाहिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। इसमें गुरु अस्त की अवधि 17 दिसम्बर से अगले वर्ष 7 जनवरी तक रहेगी, हालांकि इस दौरान धनुर्मलमास होने से वैसे ही शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। इसके बाद अगले वर्ष मार्च माह में होली पर्व के दौरान होलाष्टक की आठ दिवसीय अवधि में भी मांगलिक कार्य बाधित रहेंगे। वहीं, शुक्र तारे की अस्त होने की स्थिति में अगले वर्ष 31 मई से 3 जून तक शुभ प्रसंग नहीं हो पाएंगे।
फिर भी खूब है सावे
धनुर्मलमास, गुरु अस्त, होलाष्टक, शुक्र अस्त की स्थिति के बावजूद अगले वर्ष विवाह के लिए अनुकूल सावों की भरमार है। अगले वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी के बाद से जून तक विवाह समेत अन्य शुभ प्रसंगों के लिए 34 सावे है।
पं. शिवरतन दाधीच, ज्योतिषी