सूरत में रोजाना करीब 1,650 मैट्रिक टन कचरा पैदा होता है। मनपा प्रशासन ने शहर को नेट में लेकर घर-घर से कचरा उठाने की व्यवस्था की है। ऐसे में यूं भी कंटेनर की जरूरत नहीं रह जाती। इसके बावजूद मनपा प्रशासन ने जगह-जगह कंटेनर लगा रखे थे। स्वच्छता सर्वेक्षण के मानकों पर खरा उतरने के लिए मनपा प्रशासन ने इन कंटेनरों को हटा लिया। कंटेनर हटाने के बाद कचरा उठाने वाली गाडिय़ों के फेरे बढ़ाए गए हैं।
कंटेनर की जगह पर बैठने के लिए बेंचे लगाई हैं तो कहीं उसके ब्यूटिफिकेशन का काम हो रहा है। इसके बावजूद आदत से मजबूर लोग कचरे को ठिकाने लगाने के लिए प्लास्टिक की थैलियों में बंद कर सडक़ किनारे छोड़ दे रहे हैं। आवारा पशु इन थैलियों का ऐसा पोस्टमार्टम करते हैं कि कचरा सडक़ों पर फैल जाता है। शहर में कचरे को लेकर लोग भले परेशान हों, जनप्रतिनिधि इससे अनजान हैं। अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने शहर से बाहर होने की बात कह अपना पल्ला झाड़ लिया या फिर गंदगी से ही इनकार कर दिया। स्थानीय निवासियों के लिए कचरा बड़ी समस्या बना हुआ है। यह भी सच है कि कंटेनर हटने के बाद शहर में हालत धीरे-धीरे सुधर रही है। लोग भी समझने लगे हैं कि कचरे का विकल्प उन्हें खुद ही खोजना होगा, इसलिए रास्ते पर अब उस तरह से गंदगी नहीं दिख रही। गटर और तालाबों-खाडिय़ों में लोग कचरा फेंक रहे हैं। मनपा प्रशासन को भी इससे निजात पाने की जरूरत है।