डांग में किराए से जगह ली, 10 शिक्षकों की टीम बनाई
चाइल्ड टू स्कूल अभियान के लिए संवेदना की ओर से सूरत में अलग-अलग क्षेत्रों में स्कूल चलाई जा रही हैं, तो डांग जिले के बच्चों के लिए वहीं पर किराए से जगह लेकर स्कूल शुरू की गई है। बच्चों को पढ़ाने के लिए दस शिक्षकों को नियुक्त किया गया है। यह शिक्षक सूरत तथा डांग में कार्यरत स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
ऐसे मिली प्रेरणा
संदीप जोधाणी ने बताया कि चाइल्ड टू स्कूल अभियान की प्रेरणा उन्हें विजय नाम के एक बाल मजदूर से मिली। विजय झोपड़पट्टी में रहता है और फूल बेचकर अपने परिवार को आर्थिक रूप से मददगार बन रहा था। बातचीत में उसने बाल मजदूरी को मजबूरी बताया और कहा कि उसकी पढऩे की इच्छा है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह पढ़ नहीं पा रहा। विजय जैसे ही हजारों बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं यह सोचकर ऐसे बच्चों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था करने का निर्णय किया गया और आज 350 बच्चे बाल मजूदरी छोड़कर पढ़ाई कर रहे हैं।
सालाना 18 लाख से अधिक का खर्च
इन बच्चों की पढ़ाई के लिए संवेदना को सालाना 18 लाख से अधिक का खर्च आएगा। प्रति शिक्षक मासिक दस हजार वेतन चुकाया जा रहा है। साल के 12 लाख रुपए शिक्षकों के वेतन तथा बच्चों के लिए जरूरी शिक्षा सामग्री और कपड़ों आदि के लिए 6.50 लाख रुपए का खर्च होगा। इस पूरे खर्च की आजीवन जिम्मेदारी उद्यमी अश्विन सभाया ने ले ली है।