मनपा की सामान्य सभा ने फरवरी माह में मनपा का वित्त वर्ष 2020-21 का छह हजार करोड़ रुपए से अधिक का बजट पारित किया था। इसमें 2775 करोड़ रुपए से अधिक के केपिटल काम शामिल किए थे। मार्च महीने से शहर में शुरू हुए कोरोना के कहर ने बजट 2020-21 के अमल पर ग्रहण लगा दिया है। कोरोना संक्रमण जैसे-जैसे आगे बढ़ा, मनपा प्रशासन ने अपनी पूरी मशीनरी इससे जूझने में झोंक दी है। इस दौरान घर-घर सर्वे शुरू कर संक्रमितों और संभावितों की पहचान के साथ ही लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने और जरूरतमंदों तक राशन किट पहुचाने का काम भी मनपा प्रशासन ने अपने हिस्से ले रखा है। ऐसे में मनपा के उन रुटीन कामों से अधिकारियों का फोकस हट गया है, जो प्रशासनिक नजरिए से जरूरी हैं।
रेवेन्यू और दूसरे कामों के साथ ही कोरोना का असर मनपा के केपिटल कामों पर भी पड़ा है। रेवेन्यू टीम भी कोरोना में लगाई गई है, इसलिए रेवेन्यू में मनपा का प्रदर्शन कैसा होगा, इसे समझा जा सकता है। लॉकडाउन के कारण विकास कामों पर लगे ब्रेक ने केपिटल कामों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। साइट्स पर काम रुकने के कारण केपिटल कामों का प्रदर्शन भी इस बार खासा प्रभावित होने जा रहा है। मनपा अधिकारियों के मुताबिक इस बार शायद ही किसी अहम प्रोजेक्ट पर सलीके से काम संभव हो पाए। इससे मनपा के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ेगा, जिन्हें बजट में डिस्प्ले प्रोजेक्ट्स के रूप में सामने रखा गया था।
कोरोना संक्रमण के कारण मनपा का सबजेल की जगह पर प्रस्तावित मुख्यालय का प्रोजेक्ट फिलहाल अधर में लटकता दिख रहा है। साथ ही तापी नदी पर मगदल्ला के पास बनने वाले कन्वेंशनल बैराज का काम भी फिलहाल अटकता दिखता है। जब तक स्थितियां सामान्य नहीं होतीं, मनपा इन प्रोजेक्ट्स का रुख करेगी, फिलहाल इसके आसार नहीं दिखते। नए वित्त वर्ष का करीब डेढ़ महीना बीत चुका है और अब तक एक भी केपिटल प्रोजेक्ट पर कागजी कवायद भी शुरू होती नहीं दिख रही। श्रमिकों के अपने घरों को लौट जाने के बाद काम के लिए स्थितियां दीपावली से पहले तो सामान्य होती नहीं दिख रही।