तापी की बदहाल स्थिति को देख कर प्रशासन ने इस बार कड़ा रुख अख्तियार करते हुए निर्णय किया है कि पांच फीट तक की सभी प्रतिमाओं का विसर्जन कृत्रिम तालाबों में किया जाएगा। शनिवार को शहर पुलिस आयुक्त कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में शहर पुलिस आयुक्त सतीश शर्मा व मनपा आयुक्त एस.थन्नारसन ने बताया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं ग्रीन ट्रिब्यूनल ऑफ इंडिया के नियमों का पूरी तरह से पालन करते हुए इस बार भी १३ सितम्बर से २३ सितम्बर तक गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।
हालांकि तापी नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए इस बार नदी में मिट्टी या पीओपी किसी भी प्रकार की मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जाएगा। विकल्प के तौर पर प्रशासन कृत्रिम तालाबों की व्यवस्था कर रहा है। पिछली बार ११ कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया गया था।
इस बार और अधिक तालाबों के निर्माण के लिए तापी नदी के सभी विसर्जन घाटों पर सर्वे किया जा रहा है। जरुरत के मुताबिक और कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया जाएगा। वहीं, कृत्रिम तालाबों की मूर्तियों को भी विसर्जन के समुद्र तक पहुंचाने की व्यवस्था भी की जाएगी।
सहयोग की अपील
शहर पुलिस आयुक्त शर्मा ने बताया कि तापी को प्रदूषण से बचाने का कार्य लोगों के सहयोग के बिना नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोग इसमें प्रशासन का पूरी तरह से सहयोग करंे। इसके लिए पुलिस व प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जा रही है। व्यवस्था में सहयोग के लिए गणेश मंडलों के साथ भी बैठकें कर चर्चा की जाएगी।
समुद्र में हो सकेगा विसर्जन
शर्मा ने बताया कि समुद्र में मूर्तियों के विसर्जन पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। समुद्र में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गणेश मूर्तियों का विसर्जन किया जा सकेगा। गौरतलब है कि पांच फीट से अधिक ऊंची प्रतिमाओं का डूमस समुद्र तट पर विसर्जन किया जाता है।
१७ या १८ कृत्रिम तलाब बनाने की तैयारी
पिछले साल ५५ हजार मूर्तियों का विसर्जन हुआ था। ११ कृत्रिम तालाबों तथा डूमस समुद्र तट को छोड़ दें तो इनमें से १५-२० हजार मूर्तियों का तापी नदी में विसर्जन हुआ था। इस बार कुल १७-१८ कृत्रिम तलाब बनाने की तैयारी चल रही है। प्रशासन का कहना है कि मूर्तियों की स्थापना के आधार पर तालाबों की संख्या जरूरत पडऩे पर बढ़ाई जाएगी।