scriptBLACK MARKETING : 40 हजार का टॉसिलीजुमैब इंजेक्शन 2.70 लाख मे बेच रहे थे | Tosilizumab injection of 40K was selling for 2.70 lakhs in surat | Patrika News

BLACK MARKETING : 40 हजार का टॉसिलीजुमैब इंजेक्शन 2.70 लाख मे बेच रहे थे

locationसूरतPublished: May 10, 2021 10:32:16 am

Submitted by:

Dinesh M Trivedi

– निजी अस्पताल की महिला डॉक्टर समेत तीन के खिलाफ मामला दर्ज, एक गिरफ्तार
Case filed against three, including female doctor of private hospital, one arrested

BLACK MARKETING : 40 हजार का टॉसिलीजुमैब इंजेक्शन 2.70 लाख मे बेच रहे थे

BLACK MARKETING : 40 हजार का टॉसिलीजुमैब इंजेक्शन 2.70 लाख मे बेच रहे थे

सूरत. स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप पुलिस ने रेमडेसिविर की तरह कोरोना के उपाचर में बेहद महत्वपूर्ण व मरीज को बचाने के लिए अंत में इस्तेमाल किए जाने वाले टॉसिलीजुमैब इंजेक्शन की कालाबाजारी के रैकेट का पर्दाफाश कर एक जनें को गिरफ्तार किया है तथा निजी अस्पताल के महिला डॉक्टर समेत कुल तीन जनों को नामजद कर मामला दर्ज किया है।
पुलिस के मुताबिक अमरोली श्री गणेश रेजिडेंसी निवासी रसिक कथीरीया, अठवागेट स्थित ट्रॉई अस्पताल में काम करने वाली उसकी डॉक्टर पुत्री हेतल कथीरीया व रत्नदीप कैंसर अस्पताल के कर्मचारी व्रजेश मेहता के साथ मिलकर इंजेक्शन की कालाबाजारी का नेटवर्क चला रहे थे। एसओजी पुसिल ने उन्हें रंंगे हाथों पकडऩे के लिए डमी ग्राहक बन कर जाल बिछाया। इंजेक्शन के लिए संपर्क किया। संपर्क करने पर 2.70 लाख रुपए में इंजेक्शन का सौदा तय हुआ। इंजेक्शन की डिलीवरी के लिए उन्होंने वेसू चार रस्ता स्थित मैत्रीय अस्पताल के निकट की जगह तय हुई।
जब रसीक कथीरीया दुपहिया वाहन पर इंजेक्शन लेकर वहां पर पहुंचा तो एसओजी टीम ने इंजेक्शन जब्त कर उसे गिरफ्तार कर लिया। प्राथमिक पूछताछ में रसिक ने बताया कि उसकी पुत्री हेतल अपने एक संपर्क गोपीपुरा आमलीरान निवासी व्रजेश से इंजेक्शन 85 हजार रुपए में हासिल करती थी। फिर वे उसे जरुरतमंदो को 2.70 लाख रुपए में बेच रहे थे। एसओजी ने इस संबंध में तीनों के खिलाफ उमरा पुलिस थाने में मामला दर्ज किया है।
रसिक को गिरफ्तार कर हेतल व व्रजेश को वांछित घोषित किया है। यहां उल्लेखनीय है कि शहर में कोरोना संक्रमण की अति भयानक दूसरी लहर शुरु होने के बाद से मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर मुनाफाखोरी व कालाबाजारी का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस गोरखधंधे में डॉक्टरों समेत स्वास्थ्यकर्मियों की लिप्तता भी हर दिन सामने आ रही है। रेमडेसिविर की कालाबाजारी के करीब आधा दर्जन मामले सामने आ चुके है। इतना ही नहीं नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन व नकली सेनेटाइजर बनाने के कारखाने भी पकड़े जा चुके है।
विदेश से मंगवाने का झांसा देते थे

पुलिस सूत्रों के मुताबिक व्रजेश एक मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन हासिल करता था। फिर उसे दो गुने दामों में डॉक्टर हेतल के मार्फत उसके पिता को देता था। हेतल और उसके पिता ग्राहक को इंजेक्शन विदेश से मंगवाया हुआ होने का झांसा देते थे। फिर उनसे मुंह मांगे दाम वसूलते थे। साथ ही वे ग्राहकों से मरीज का आधारकार्ड व डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन भी लेते थे। पुलिस डॉक्टर हेतल व व्रजेश की खोज में जुटी है साथ ही इस बात की भी पड़ताल कर रही हैं कि उन्होंने कितने लोगों को कालाबाजारी कर इंजेक्शन बेचे है।

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