पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में लोग
शैक्षणिक संस्थान बंद होने से पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। पर्यटन विभाग ने दपाड़ा सतमालिया एवं वासोणा लॉयन सफारी खोल दिया है, जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। लॉयन सफारी में शेर देखने के लिए रोजाना 700-800 पर्यटक आ रहे हैं। आदिवासी संग्रहालय, खानवेल बटरफ्लाई उद्यान, दादरा उद्यान, अथाल नक्षत्र वन, स्वामीनारायण मंदिर, मधुबन डेम, बिन्द्राबीन रामेश्वर मंदिर, दूधनी नौका विहार सैलानियों के मुख्य केन्द्र बने हंै। स्वामीनारायण मंदिर में भी दूर-दूर से सैलानी आ रहे हैं। सिंदोनी और मांदोनी के ऊंचे-नीचे घाट, झरने, पहाड़, देवी-देवताओं के मंदिरों में पर्यटकों की भीड़ हो रही है। दूधनी जेटी पर मुंबई और महाराष्ट्र से ज्यादा लोग आ रहे हैं। यहां कौंचा, गुनसा, बिलदरी में नौका विहार का लुत्फ उठा रहे हैं।
शैक्षणिक संस्थान बंद होने से पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। पर्यटन विभाग ने दपाड़ा सतमालिया एवं वासोणा लॉयन सफारी खोल दिया है, जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। लॉयन सफारी में शेर देखने के लिए रोजाना 700-800 पर्यटक आ रहे हैं। आदिवासी संग्रहालय, खानवेल बटरफ्लाई उद्यान, दादरा उद्यान, अथाल नक्षत्र वन, स्वामीनारायण मंदिर, मधुबन डेम, बिन्द्राबीन रामेश्वर मंदिर, दूधनी नौका विहार सैलानियों के मुख्य केन्द्र बने हंै। स्वामीनारायण मंदिर में भी दूर-दूर से सैलानी आ रहे हैं। सिंदोनी और मांदोनी के ऊंचे-नीचे घाट, झरने, पहाड़, देवी-देवताओं के मंदिरों में पर्यटकों की भीड़ हो रही है। दूधनी जेटी पर मुंबई और महाराष्ट्र से ज्यादा लोग आ रहे हैं। यहां कौंचा, गुनसा, बिलदरी में नौका विहार का लुत्फ उठा रहे हैं।
नवम्बर में सर्वाधिक पर्यटक आते हैं वन अधिकारी किरण पटेल ने बताया कि प्रदेश में नवम्बर में सर्वाधिक पर्यटक आते हैं। वर्षभर में 8 लाख से अधिक पर्यटक प्रदेश में आते हैं। इस वर्ष पर्यटकों की संख्या बढऩे की उम्मीद है। हरे भरे जंगल और पहाडिय़ों के बीच बनाए गए कौंचा हेल्थ गार्डन की प्रशंसा दक्षिणी गुजरात में खासतौर पर होती है। यहां भ्रमण के लिए देश की नामी-गिरामी हस्तियां आती रहती हैं। विख्यात चित्रकारों ने इस गार्डन की सौम्यता को अपने कैनवास में सजाया हैं। दमणगंगा जलाशय के पार कौंचा गंाव में बने स्थापित गार्डन में आवासीय कॉम्प्लेक्स भी हैं। कौंचा गार्डन में सुदूर पर्वतीय रमणीक आनंद के लिए मशहूर हैं। इसमें आधुनिक दर्जे के संकुल बने हैं।
खानवेल का बटरफ्लाई उद्यान पर्यटकों का खास पसंदीदा स्थल है। तितलियों की प्रकृति के साथ घनिष्ठता, नई प्रजातियां,आकर्षित करने वाली फुलवारी, लम्बी लम्बी क्यारियां, रात्रिचर गृह, सुन्दर उद्यान, ग्रीन हाऊस, फूलों की सैकड़ों प्रजातियों वाला अनोखा पर्यटन स्थल है। साकरतोड़ नदी के किनारे बने इस उद्यान में देशभर में पाई जाने वाली 60 से अधिक तितलियों की प्रजातियां हर समय देखी जा सकती हैं। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण केन्द्र के रूप में उभरा है।
खानवेल का बटरफ्लाई उद्यान पर्यटकों का खास पसंदीदा स्थल है। तितलियों की प्रकृति के साथ घनिष्ठता, नई प्रजातियां,आकर्षित करने वाली फुलवारी, लम्बी लम्बी क्यारियां, रात्रिचर गृह, सुन्दर उद्यान, ग्रीन हाऊस, फूलों की सैकड़ों प्रजातियों वाला अनोखा पर्यटन स्थल है। साकरतोड़ नदी के किनारे बने इस उद्यान में देशभर में पाई जाने वाली 60 से अधिक तितलियों की प्रजातियां हर समय देखी जा सकती हैं। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण केन्द्र के रूप में उभरा है।