अपनी पत्नी के साथ मऊ जा रहे चंद्रभान ने बताया कि दोपहर से ही लाइन में लगने के बाद किसी तरह मेडिकल प्रमाणपत्र और टिकट का टोकन प्राप्त हुआ और तुरंत ही सामान के साथ बस में स्टेशन के लिए रवाना होने की सूचना दे दी गई। इससे कुछ खाना नहीं बना पाए और चार बजे तक दुकाने बंद हो जाने से कुछ खाने को नहीं ले पाए। उम्मीद थी कि रेलवे की ओर से दो टाइम कुछ न कुछ खाने को मिल जाएगा और 30 घंटे में गंतव्य तक पहुंच जाएंगे। वहीं, रूट बदले जाने के कारण 40 घंटे बाद तो कानपुर तक पहुंचे हैं। भोजन को कौन कहे पानी भी नहीं पूछा जा रहा है।
एक अन्य यात्री आजमगढ़ के शिवकुमार और शिवा यादव भी इसी ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं। राजकुमार ने बताया कि ट्रेन का टिकट मिलने के बाद लगा कि अब लॉकडाउन के दौरान जो मुसीबत देखी, खत्म हो गई। लेकिन जिस तरह से ट्रेन चल रही है और भोजन पानी नहीं मिल रहा है उससे यह किसी दु:स्वप्न से कम नहीं है। एक जगह को छोड़कर रेलवे का कोई अधिकारी या कर्मचारी यह देखने नहीं आया कि 50 घंटे से ज्यादा देरी से ट्रेन में बैठे यात्रियों का हाल कैसा है। हमारे साथ एक बुजुर्ग हैं उनकी हालत दयनीय हो गई है। वापी से बिस्कुट, नमकीन समेत कुछ सूखा नाश्ता लेकर चले थे, उसी से काम चला रहे हैं लेकिन पानी न मिलने से बड़ी मुश्किल हो रही है। शिवा के अनुसार ट्रेन मऊ स्टेशन पर शनिवार तड़के तक पहुंचने की उम्मीद है। तब तक इसी तरह चलाना पड़ेगा।
महिला यात्री ने दिया जुड़वा बच्चे को जन्म
बुधवार रात वापी से रवाना हुई ट्रेन की महिला यात्री ने शुक्रवार को दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। सराथु स्टेशन के पास महिला को प्रसव पीड़ा हुई और जुड़वा बच्चों की डिलीवरी हो गई। सूचना मिलने पर ट्रेन में मौजूद कर्मचारी वहां पहुंचे और बाद में स्टेशन पर महिला को उतारकर पति के साथ अस्पताल भेज दिया। महिला यात्री का नाम गायत्री बताया गया है।