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दु:स्वप्न से कम नहीं घर वापसी का रेल सफर

locationसूरतPublished: May 22, 2020 10:37:06 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

48 घंटे बाद भी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेनसिर्फ एक बार लोगों को दिया नाश्ता और पानी, यात्री बेहाल
Shramik Special Train did not reach its destination even after 48 hoursPeople only get breakfast and water once, passenger is suffering

दु:स्वप्न से कम नहीं घर वापसी का रेल सफर

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वापी. लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए प्रवासी श्रमिकों को गृहराज्य जाने के लिए टिकट हासिल करना और उसके बाद ट्रेन में सफर करना किसी दु:स्वप्न से कम नहीं हैं। बुधवार रात करीब 1600 श्रमिकों को लेकर उत्तर प्रदेश के मऊ के लिए रवाना हुई विशेष ट्रेन शुक्रवार को 48 घंटे बाद भी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाई थी। इस दौरान रेलवे की ओर से यात्रियों को गुरुवार को सुबह में नाश्ते में पौवा के साथ एक बोतल पानी के अलावा कुछ नहीं दिया गया। इसके कारण बुजुर्ग और बच्चे बेहाल रहे।
चणोद स्थित राजस्थान भवन में लोगों का रजिस्ट्रेशन करने के साथ ही मेडिकल करवाकर टिकट का टोकन दिया गया था। इसके तुरंत बाद लोगों को बसों से ट्रेन के लिए स्टेशन पर बसों से लाया गया था। यात्रियों के अनुसार बस में रवाना करने से पहले खिचड़ी और पानी दिया गया था। उसके बाद गुरुवार सुबह में सिर्फ पौवा का नाश्ता और एक – एक बोतल पानी दिया गया। लेकिन किसी कारण से ट्रेन का रूट चेन्ज कर दिया गया। यह ट्रेन उज्जैन से होते हुए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और उसके बाद कानपुर के लिए रवाना हुई। शुक्रवार को पूरे दिन रेलवे की ओर से यात्रियों को न तो पानी दिया गया और न खाने को कुछ दिया गया। इसके कारण यात्री अपने साथ बिस्कुट, नमकीन समेत जो कुछ खाने को लेकर गए थे, उसी से काम चलाया। पानी के लिए उन्हें हलकान होना पड़ा। यात्रियों के अनुसार सिर्फ प्रयागराज स्टेशन पर गाड़ी रुकने पर प्लेटफार्म पर उतकर लोगो ने बोतल और डिब्बों में पानी भरा।
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5.30 बजे राजधानी के पाथ पर चलेगी स्पेशल ट्रेन
यात्रियों की जुबानी, रेल सफर की कहानी
अपनी पत्नी के साथ मऊ जा रहे चंद्रभान ने बताया कि दोपहर से ही लाइन में लगने के बाद किसी तरह मेडिकल प्रमाणपत्र और टिकट का टोकन प्राप्त हुआ और तुरंत ही सामान के साथ बस में स्टेशन के लिए रवाना होने की सूचना दे दी गई। इससे कुछ खाना नहीं बना पाए और चार बजे तक दुकाने बंद हो जाने से कुछ खाने को नहीं ले पाए। उम्मीद थी कि रेलवे की ओर से दो टाइम कुछ न कुछ खाने को मिल जाएगा और 30 घंटे में गंतव्य तक पहुंच जाएंगे। वहीं, रूट बदले जाने के कारण 40 घंटे बाद तो कानपुर तक पहुंचे हैं। भोजन को कौन कहे पानी भी नहीं पूछा जा रहा है।
एक अन्य यात्री आजमगढ़ के शिवकुमार और शिवा यादव भी इसी ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं। राजकुमार ने बताया कि ट्रेन का टिकट मिलने के बाद लगा कि अब लॉकडाउन के दौरान जो मुसीबत देखी, खत्म हो गई। लेकिन जिस तरह से ट्रेन चल रही है और भोजन पानी नहीं मिल रहा है उससे यह किसी दु:स्वप्न से कम नहीं है। एक जगह को छोड़कर रेलवे का कोई अधिकारी या कर्मचारी यह देखने नहीं आया कि 50 घंटे से ज्यादा देरी से ट्रेन में बैठे यात्रियों का हाल कैसा है। हमारे साथ एक बुजुर्ग हैं उनकी हालत दयनीय हो गई है। वापी से बिस्कुट, नमकीन समेत कुछ सूखा नाश्ता लेकर चले थे, उसी से काम चला रहे हैं लेकिन पानी न मिलने से बड़ी मुश्किल हो रही है। शिवा के अनुसार ट्रेन मऊ स्टेशन पर शनिवार तड़के तक पहुंचने की उम्मीद है। तब तक इसी तरह चलाना पड़ेगा।

महिला यात्री ने दिया जुड़वा बच्चे को जन्म
बुधवार रात वापी से रवाना हुई ट्रेन की महिला यात्री ने शुक्रवार को दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। सराथु स्टेशन के पास महिला को प्रसव पीड़ा हुई और जुड़वा बच्चों की डिलीवरी हो गई। सूचना मिलने पर ट्रेन में मौजूद कर्मचारी वहां पहुंचे और बाद में स्टेशन पर महिला को उतारकर पति के साथ अस्पताल भेज दिया। महिला यात्री का नाम गायत्री बताया गया है।

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