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जिद और स्टेटस सुरक्षा पर हावी

locationसूरतPublished: Feb 10, 2018 12:32:18 pm

बगैर लाइसेंस और हेलमेट वाहन चलाने वाले बच्चों के अभिभावक बेबस

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सूरत. कई विद्यार्थियों के लिए टू-व्हीलर वाहन पर स्कूल आना स्टेटस सिम्बल है। इसके चक्कर में वह और उनके अभिभावक सुरक्षा को नजरअंदाज कर रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चे वाहन की जिद करते हैं तो उन्हें झुकना पड़ता है।

Two wheeler is status symbol for surat student
शहर में कई विद्यार्थी बगैर लाइसेंस और हेलमेट टू-व्हीलर पर स्कूल आते-जाते हैं। राजस्थान पत्रिका ने ऐसे बच्चों के अभिभावकों से बात की। ज्यादातर का कहना था कि वह बच्चों की जिद के सामने बेबस हैं। कई विद्यार्थी स्टेटस के चक्कर में बस या ऑटो में स्कूल जाना पसंद नहीं करते, इसलिए अभिभावकों को उन्हें वाहन दिलाना पड़ा। कई दूसरों ने देखादेखी में बच्चों को वाहन दिला दिया। अभिभावकों का कहना है कि वह हेलमेट पहने पर जोर देते हैं, लेकिन बच्चे ध्यान नहीं देते।
Two wheeler is status symbol for surat student
देखादेखी में दिलाना पड़ा
स्कूल आने-जाने के लिए बेटे को वाहन दिलना पड़ा, क्योंकि आज देखादेखी बढ़ गई है। वाहन दिलाने से स्कूल आने-जाने का समय बच जाता है। स्कूल की ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था सही नहीं है। हेलमेट पर जोर देते हैं, लेकिन बेटा पहनता नहीं है।
पियुष बोघावाला, अभिभावक, भागल
स्टेटस सिम्बल बन गया
बच्चे को स्कूल ऑटो और वैन में आने-जाने में शर्म आती है। दूसरे विद्यार्थी खुद का वाहन लेकर आते हैं तो वह भी वाहन की मांग करना लगा। इसलिए वाहन दिलाना पड़ा। बच्चों के लिए वाहन स्टेटस सिम्बल बन गया है। कम उम्र में लाइसेंस नहीं मिलता, हम जानते हैं, लेकिन बच्चों की जिद के सामने झुकना पड़ा। हेलमेट पहनने के लिए बार-बार कहा जाता है, लेकिन बच्चे को हेलमेट पहनना पसंद नहीं है।
योगेश रुपावाला, अभिभावक, रुस्तमपुरा
वाहन बिना स्कूल नहीं जाते
जब बेटा-बेटी 10वीं में आए तो खुद के वाहन की मांग करने लगे। काफी समझाया, लेकिन बच्चे बिना वाहन स्कूल नहीं जाने की जिद पकड़कर बैठ गए, क्योंकि उनके अन्य साथी वाहन लेकर आते थे। इसलिए वाहन दिलाना पड़ा। ज्यादातर बच्चों को 10वीं के बाद ऑटो और वैन में स्कूल जाने में शर्म आती है।
किशन खोरासीया, अभिभावक, उधना
प्यार का गलत उपयोग
बच्चे तेजी से वाहन चलाते हैं, वाहनों पर मस्ती करते हैं। अभिभावकों के प्यार का गलत उपयोग करते है। बच्चे को वाहन दिला रखा है। रोजाना उसे वाहन चलाने की टिप्स देता हूं। वाहन गलत तरीके से चलाने पर डांटता भी हूं।
मोनू बजाज, अभिभावक, सिटीलाइट रोड
ट्यूशन के लिए वाहन
कई अभिभावक स्कूल के लिए भले बच्चे को वाहन नहीं देते हैं, लेकिन ट्यूशन के लिए दे देते हैं। बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अभिभावकों की भी है। अभिभावक कितना भी ध्यान रखें, लेकिन विद्यार्थी नियमों का उल्लंघन करते हैं, जो उनकी जान के लिए खतरनाक है।
राजीव झा, अभिभावक, पाल
बच्चों को साइकिल दें
स्कूलों में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वाहन देना बच्चे और राहगीरों, दोनों के लिए खतरनाक है। कुछ बच्चे देखादेखी में वाहन के लिए जिद करते हैं, जबकि उनकी जरूरत नहीं होती। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को साइकिल दें, जिससे उनका काम भी पूरा हो और शारीरिक श्रम करने की आदत भी बने।
प्रदीप सिंह, पाल
ई-बाइक दीजिए
बच्चों को टयूशन, एक्स्ट्रा एक्टिविटी, स्पोट्र्स आदि के लिए दूर भेजना जरूरी होता है। 12-15 साल के बच्चों को अभिभावक ई-बाइक दें तो उनकी जरूरत भी पूरा होगी और स्पीड पर भी कंट्रोल रहेगा। बड़े वाहन देने से बचने की जरूरत है।
नीलम गट्टानी, गृहिणी, अडाजण
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