scriptunemployment कोरोना से बड़ी हो रही बेरोजगारी की बीमारी | Unemployment disease is getting bigger than corona | Patrika News

unemployment कोरोना से बड़ी हो रही बेरोजगारी की बीमारी

locationसूरतPublished: Aug 02, 2020 05:25:42 pm

नौकरी छूती तो 50 पार के लोगों को नहीं मिल रहा काम, गुजरात में दस लाख पार हो सकता है बेरोजगार हुए लोगों का आंकड़ा

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विनीत शर्मा/संदीप पाटिल

सूरत. जिस तेजी से कोविड-19 का ग्राफ चढ़ रहा है, उसी तेजी से लोगों के कामधंधे छूट रहे हैं। संक्रमणकाल में हुई तालाबंदी ने प्रदेशभर में करीब दस लाख ऐसे लोगों को नौकरी से बाहर कर दिया, जिनकी उम्र 50 पार हो चुकी है। इन लोगों के लिए नए सिरे से नई नौकरी की तलाश आसान नहीं है। इनमें कई लोग ऐसे हैं, जिनके लिए संक्रमण के बादल छंटने तक घर चलाना मुश्किल हो रहा है। संक्रमण के बाद भी उनको काम मिलेगा, इसे लेकर खुद उन्हें भरोसा नहीं हो रहा।

संक्रमणकाल में माल्स, रेस्तरां, होटल के साथ ही कारखानों पर भी ताले लटक गए। उद्योग-धंधों पर हुई इस तालाबंदी का पहला असर सिक्योरिटी स्टाफ और हाउसकीपिंग स्टाफ पर पड़ा। सूरत समेत गुजरात में सिक्योरिटी और हाउसकीपिंग सेग्मेंट दस लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है। इनमें 40 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनकी उम्र 50 पार कर चुकी है। कारखानों और दूसरे उद्योगों में भी काम बंद हुआ तो छंटनी का दौर शुरू हुआ। केंद्र सरकार ने काम पर बुलाने के लिए जो एडवाइजरी जारी की थी, उसमें उम्रदराज और कोमोरबिड लोगों को काम पर नहीं बुलाने की थी। इसलिए यहां भी पहली गाज 50 पार के लोगों पर ही गिरी। उद्योगों और दूसरे कामधंधे से रोजगार छूटने से प्रदेशभर में 50 की उम्र पार कर चुके पांच से सात लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं।
बेशक जीविका का ये संकट स्थायी नहीं है, लेकिन हालात सामान्य होने तक बेरोजगार हुए लोगों के लिए घर चलाना चुनौती से कम नहीं है। अपनी क्षमता का स्वर्णकाल किसी दूसरी कंपनी को दे चुके लोगों के लिए नया काम तलाशने और पाने में महीनों लगेंगे। बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जिनके लिए नई नौकरी के दरवाजे बंद हो चुके हैं। इनमें कई ऐसे हैं, जिनके पास परिवार के नाम पर पति या पत्नी ही है। इन लोगों के लिए नौकरी का जाना मतलब ढलती उम्र में जिंदगी के मुश्किल दौर का शुरू होना है।

सब्जी तक बेचने को मजबूर

कंस्ट्रक्शन साइट्स बंद होने के कारण बेरोजगार हुए 50 पार के ऐसे लोगों को मजदूर का काम भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में सब्जी बेचने जैसे काम को मजबूर हैं। यहां भी इनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। संक्रमण से बचाव और सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर मनपा या पुलिस प्रशासन गाहे-बगाहे इनकी दिक्कतों में इजाफा कर रहे हैं। कभी पुलिस उठा देती है तो कभी मनपा की टीम सब्जी और दूसरा सामान ही उठा ले जाती है।

ब्रेक के बहाने किया बाहर

कई कंपनियों ने 50 से अधिक उम्र वाले सभी कर्मचारियों को कुछ समय के लिए ब्रेक दे दिया है। इसी तरह शहर के कपड़ा और हीरा उद्योग में भी 50 से अधिक उम्र के श्रमिकों के फिलहाल नौकरी पर आने पर रोक लगा दी है। कोरोना महामारी के बाद से राज्य में हर तरफ यहीं स्थिति देखने को रही है।

बेटे हैं तो चल रहा है

कोरोना से पहले कंपनी में नौकरी कर महीने में 10 से 12 हजार कमा लेता था, लेकिन अब मालिक ने कह दिया आपकी उम्र अधिक है इसलिए आप ब्रेक ले लो। चार महीने से घर पर ही हूं। यह तो ठीक है कि बेटे की नौकरी चल रही है।
भिकन पाटिल, सूरत

बचत से घर चला रहा हूं

लॉकडाउन से पहले लूम चलता था। अनलॉक के बाद से कारखाना तो शुरू हुआ, लेकिन मेरी उम्र के कारण मालिक ने मना कर दिया। बेटा है जो अपने परिवार के साथ अलग रहता है। कुछ रुपए बचा रखे थे, अब काम आ रहे हैं।
रमेश पटेल, सूरत

लॉकडाउन भारी पड़ गया

मलेरिया हुआ था तो अस्पताल में था। ठीक हुआ तो लॉकडाउन की वजह से मील बंद हुई और चौकीदार की जरूरत भी खत्म हो गई। उम्र हो गई तो कहीं नौकरी भी नहीं मिल रही। सब्जी का ठेला लगाता हूं तो एसएमसी और पुलिसवाले आ जाते हैं।
गिरिजा प्रधान, सायण
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