1994 में पहली बार वापी नगर पालिका के चुनाव से लेकर 2016 में हुए नपा चुनाव का रिकॉर्ड देखें तो भाजपा ने अपनी सीटों में लगातार इजाफा किया है। दूसरी तरफ कांग्रेस हर चुनाव में सिमटती जा रही है। वापी नगर पालिका के गठन के बाद 1994 में पहला चुनाव हुआ। तब नौ वार्ड की 27 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा को सिर्फ तीन सीटें मिली थी। जबकि वापी विकास मंच को 14 और निर्दलीयों को 10 सीटें मिली थी जो कांग्रेस समर्थित थे। हालांकि दो साल बाद वापी विकास मंच का भाजपा में विलय हो गया था। इसी तरह 1997 में 27 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा को पिछले चुनाव से चार सीटें ज्यादा सात सीटें मिली। जबकि शेष पर निर्दलीय जीते और इनमें ज्यादातर कांग्रेस समर्थित थे। दोनों ही चुनाव में भाजपा ने पार्टी चिन्ह पर चुनाव लड़ा था। 2004 में सीमांकन को लेकर विवाद में मामला कोर्ट पहुंचा। जिससे चुनाव नहीं हो पाया। इसी बीच 2006 में चला और डुंगरा को भी वापी नपा में शामिल कर चुनाव की घोषणा कर दी गई। इस चुनाव में 11 वार्ड होकर सीटें 33 हो गई। चुनाव परिणाम के अनुसार भाजपा ने 27 सीटें जीती और अपने चुनाव चिन्ह पर लडऩे वाली कांग्रेस सात सीटें जीत पाई। इसके बाद वर्ष 2011 में नपा में 14 वार्ड हो गया और सीटें 42 हो गई। इस चुनाव मे भाजपा ने 37 सीटें जीती और कांग्रेस इस बार भी सात पर ही रह गई।
इसके बाद 2016 में परिसीमन बदल गया और फिर से नपा में 11 वार्ड हो गया लेकिन एक वार्ड में तीन की जगह चार सीटें हो गई। नोटबंदी के कुछ दिन बाद ही नवंबर 2016 में हुए चुनाव में 44 में से भाजपा ने 41 सीटें जीती और कांग्रेस मुश्किल से तीन सीट निकाल पाई।
पहले एक एक साल का होता था प्रमुख
वर्ष 1994 और 1999 में हुए नपा चुनाव में प्रमुख का कार्यकाल एक एक साल का होता था। वर्ष 2006 के बाद नपा प्रमुख का कार्यकाल ढाई – ढाई साल का किया गया था। अब तक नगर पालिका में 25 प्रमुख हो चुके हैं। स्व राजू शाह वापी नपा के पहले प्रमुख रहे और निवर्तमान में वि_ल पटेल नपा के प्रमुख हैं।
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वर्ष 1994 और 1999 में हुए नपा चुनाव में प्रमुख का कार्यकाल एक एक साल का होता था। वर्ष 2006 के बाद नपा प्रमुख का कार्यकाल ढाई – ढाई साल का किया गया था। अब तक नगर पालिका में 25 प्रमुख हो चुके हैं। स्व राजू शाह वापी नपा के पहले प्रमुख रहे और निवर्तमान में वि_ल पटेल नपा के प्रमुख हैं।
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