सूरत

VNSGU : पहुंचे थे उग्र आंदोलन करने, गिनती के कार्यकर्ता ही जुटे

सिंडीकेट सदस्यों के इस्तीफे की मांग को लेकर एबीवीपी ने उपकुलपति को सौंपा ज्ञापन
 

सूरतMay 04, 2018 / 09:25 pm

Divyesh Kumar Sondarva

सूरत. वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय परिसर में गुरुवार को एबीवीपी के कार्यकर्ता उग्र आंदोलन करने पहुंचे थे, लेकिन गिनती के कार्यकर्ता ही एकत्रित हो पाए। सिंडीकेट सदस्यों के इस्तीफे की मांग को लेकर पहुंचे एबीवीपी के कार्यकर्ता उपकुलपति को ज्ञापन सौंपकर लौट गए।
विश्वविद्यालय में बुधवार को हुई सिंडीकेट की बैठक में महाविद्यालयों की मान्यता के मामले को लेकर कुलपति और आठ सिंडीकेट सदस्यों में जमकर बहस हुई थी। सिंडीकेट सदस्यों ने आरोप लगाया कि उनकी जानकारी बिना ही कुलपति ने महाविद्यालयों के लिए एलआइसी नियुक्त कर दी और रिपोर्ट भी तैयार कर दी। गरमागरम बहस के बाद बिना निर्णय सिंडीकेट को स्थगित कर दिया गया था। इस पर कुलपति के समर्थक सिंडीकेट सदस्यों के खिलाफ हो गए। कुलपति के सर्मथन में विश्वविद्यालय के पदाधिकारी सिंडीकेट सदस्यों पर आरोप लगाने लगे। जिन आठ सिंडीकेट सदस्यों ने कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोला है, उन्हें पद से हटाने की मांग होने लगी।
पुलिस विश्वविद्यालय पहुंच गई

गुरुवार को एबीवीपी की ओर से विश्वविद्यालय में उग्र आंदोलन कर सिंडीकेट सदस्यों के इस्तीफे की मांग के कार्यक्रम की योजना बनाई गई। इस बारे में जानकारी मिलते ही पुलिस विश्वविद्यालय पहुंच गई। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन की सुरक्षा बढ़ा दी गई, लेकिन कुलपति के सर्मथन में गिनती के एबीवीपी कार्यकर्ता एकत्रित हो पाए। कई घंटे इंतजार करने पर भी कार्यकर्ताओं की संख्या नहीं बढ़ी तो एबीवीपी के कार्यकर्ता आठ सिंडीकेट सदस्यों के इस्तीफे की मांग का ज्ञापन उपकुलपति को सौंपकर लौट गए।
खुद की रक्षा के लिए विद्यार्थियों के साथ खेल
महाविद्यालयों की मान्यता पर सवाल खड़ा हो गया है। एबीवीपी के कार्यकर्ता सिंडीकेट सदस्यों से नाराज है। तो दूसरी ओर सिंडीकेट सदस्य कुलपति की एलआइसी से नाराज है। सिंडीकेट सदस्यों का कहना है कि कुलपति की ओर से नियुक्ति की गई एलआइसी गलत है। इस पर किसी भी तरह की मुहर लगाने का सवाल ही नहीं खड़ा होता है। विवि के अन्य पदाधिकारियों का कहना है कि सिंडीकेट के कई सदस्य ऐसे है जिनके खिलाफ जांच चल रही है। यह जांच रिपोर्ट सिंडीकेट समक्ष रखी जानी थी और इस पर फैसला किया जाना था। फैसला होता तो सिंडीकेट के सदस्यों को पद छोडऩा पड़ता और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू होती। यह प्रस्ताव टेबल पर आए इससे पहले ही बैठक में एलआइसी के नाम पर हंगामा शुरू कर दिया गया। हंगामा कर बैठक को रद्द करने का षडयंत्र किया गया है। खुद की रक्षा करने के लिए विद्यार्थियों के साथ खेल खेला गया है।
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