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VNSGU : करोड़ों रुपए फीस वसूल ली, पर महासचिव पद का चुनाव अब तक नहीं

locationसूरतPublished: Sep 07, 2018 08:59:16 pm

– दो साल से वसूली जा रही है फीस, चुनाव के मामले में नहीं कोई फैसला- विश्वविद्यालय प्रशासन सिंडीकेट चुनाव की तैयारियों में जुटा, चुनाव के लिए जारी की अधिसूचना

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VNSGU : करोड़ों रुपए फीस वसूल ली, पर महासचिव पद का चुनाव अब तक नहीं

सूरत.

वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र संघ चुनाव का गला घोटकर विद्यार्थियों के लोकतांत्रिक अधिकार को छीन लिया है। छात्र संघ चुनाव तो करवा नहीं रहे हैं, पर इसके लिए विद्यार्थियों से करोड़ो रुपए की फीस वसूल रखी है। दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन सिंडीकेट चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। सिंडीकेट चुनाव की अधिसूचना भी जारी कर दी है।
विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संबंद्ध महाविद्यालयों में हर साल छात्र संघ चुनाव होते थे। इसमें छात्र मतदान करके महासचिव और अन्य पदों का चयन करते थे। पिछले साल से विश्वविद्यालय के किसी भी विभाग और किसी भी संबद्ध महाविद्यालयों में चुनाव नहीं हुए हैं। महाविद्यालयों के प्राचार्यों को खुश रखने के चक्कर में विद्यार्थियों के लोकतांत्रिक अधिकार को छीना गया है। प्राचार्यों ने ही छात्र संघ चुनाव का विरोध शुरू किया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्राचार्यों से चुनाव संबंध में राय देने की सूचना दी। तब भी ज्यादातर ने छात्र संघ चुनाव नहीं करवाने की राय दी। फिर सिंडीकेट में इस मामले को दबा दिया गया। तब से लेकर अब तक महाविद्यालयों और विभागों में चुनाव नहीं हुए हैं। हालांकि चुनाव के नाम पर फीस वसूली गई है। कॉलेज में भरी जाने वाली फीस में स्टूडेन्ट यूनियन फीस के नाम पर प्रति विद्यार्थी 100 रुपए वसूले जाते हैं। दो सेेमेस्टरों को मिलाकर प्रति विद्यार्थी 200 रुपए वसूले जाते हैं। विश्वविद्यालय में 22 से अधिक विभाग तथा 300 से अधिक महाविद्यालय हैं। इनमें लाखों विद्यार्थी पढ़ते हैं। चुनाव के नाम पर 4 से 5 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं। पिछले दो सालो से यह फीस वसूली गई है, लेकिन चुनाव नहीं करवाए गए हैं। यह स्टूडेन्ट यूनियन फीस का यह पैसा महाविद्यालयों की तिजोरी में चला गया है। जब भी महासचिव पद के चुनाव की बात आती है तो विश्वविद्यालय सारा मामला सिंडीकेट पर छोड़कर जबाव देने से बचने का प्रयास करता है। दूसरी ओर सिंडीकेट इस मामले में प्राचार्यों की राय पर मामला छोड़ देते हैं। सिंडीकेट चुनाव में प्राचार्यों को कोई भी नाराज नहीं करना चाहता है, इसलिए उनको राजी रखने के चक्कर में विद्यार्थियों का लोकतांत्रिक हक छीना गया है। 26 सितम्बर को विश्वविद्यालय में सिंडीकेट चुनाव की घोषणा कर दी गई है। इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। सब अब सिंडीकेट चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं और छात्रसंघ चुनाव को एक तरफ छोड़ दिया गया है।

कैसे जागरूक होंगे युवा मतदाता..?
एक तरफ वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय संबद्ध विभागों और महाविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव नहीं करवा रहा है। वहीं, राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने राज्य के महाविद्यालयों में 1 सितम्बर से 31 अक्टूबर तक युवा मतदाता महोत्सव का आयोजन करने का आदेश जारी किया है। राज्य उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों को इस आदेश का पालन करने की सूचना दी है। चुनाव आयोग ने वर्ष 2018 को एसेसीबल इलेक्शन वर्ष के तौर पर घोषित किया है। इसके अंतर्गत यह कार्यक्रम करने का आदेश है। इसमें विद्यार्थियों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना होगा, लेकिन वीएनएसजीयू में तो महासचिव पद का चुनाव ही नहीं करवाया जा रहा है। ऐसे में विद्यार्थी लोकतंत्र और चुनाव के साथ मतदान के प्रति कैसे जागरूक हो सकेंगे। यह बड़ा सवाल है।
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