- 208 से अधिक प्राध्यापक पर एक भी पेटेंट नहीं:
वीएनएसजीयू VNSGU के 18 विभागों में हाल 107 पीएचडी और 20 पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) हुए स्थाई प्राध्यापक कार्यरत हैं, जबकि 26 पीएचडी, 49 पीजी और 6 एमफिल किए हुए अस्थाई प्राध्यापक विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। इन सभी को मिलाकर भी एक शोध का पेटेंट नहीं होना आश्चर्य की बात है। पांच सालो में सभी विभागों को मिलाकर यूजीसी UGC मान्य जर्नल में सिर्फ 827 रिसर्च पेपर ही प्रस्तुत हुए है। यूजीसी UGC मान्य जर्नल में 2016-17 में 94, 2017-18 में 128, 2018-19 में 148, 2019-20 में 159, 2020-21में 298 शोध पेपर प्रस्तुत हुए हैं।
- सिर्फ 6 प्राध्यापकों की शोध उत्कृष्ट:
नेक की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि पांच सालो में वीएनएसजीयू VNSGU के सिर्फ 6 प्राध्यापकों ने ही शोध कार्य में उत्कृष्ट काम किया है। उन्हीं के शोध कार्य को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसी की ओर से वीएनएसजीयू को आर्थिक सहाय मिली है। इसमें 2016-17 में 1, 2018-19 में 2, 2019-20 में 1, 2020- 21 में 2 प्राध्यापकों के शोध को आर्थिक सहाय मिली है। इसके अलावा 2016-17 में 8 , 2017-18 में 8 , 2018-19 में 19, 2019-20 में 21 और 2020-21में 20 प्राध्यापकों और रिसर्च स्कॉलर को उनकी शोध के बदले में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैं।
- शोध के लिए नहीं मिली सीड मनी:
पिछले चार सालों में शोध के लिए वीएनएसजीयू VNSGU के प्राध्यापकों को सीड मनी नहीं मिली है। सरकार की ओर से किसी प्रोजेक्ट पर शोध के लिए दी जाने वाली राशि को सीड मनी कहा जाता है। 2020-21 में शोध के लिए 15.925 लाख सीड मनी मिली।