पुलिस ने साजिश के मुख्य सूत्रधारों और अन्य आरोपियों के साथ भावसिंह को भी गिरफ्तार किया था। अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। २०१६ में भावसिंह ने सात की दिन की अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद २३ जून, २०१६ से २९ जून, २०१६ तक की जमानत मंजूर की गई थी। बाद में अदालत के आदेश पर इसे २३ जुलाई, २०१६ तक बढ़ाया गया था। २४ जुलाई को उसे लाजपोर जेल लौटना था, लेकिन वह फरार हो गया। जेल प्रशासन ने उसके खिलाफ उमरा थाने में मामला दर्ज करवाया था।
उमरा पुलिस ने उसके संभावित ठिकानों पर खोज की, लेकिन वह नहीं मिला। क्राइम ब्रांच को उसके बारे में मुखबिर से पुख्ता सूचना मिलने पर पुलिस ने उसे धर दबोचा। भावनगर जिले के कणकोट गांव का मूल निवासी भावसिंह दो साल तक पुलिस से बचने के लिए वह अलग-अलग स्थानों पर रहा। कुछ समय से वह कामरेज के मेघनम अपार्टमेंट में ठहरा हुआ था।
शव ठिकाने लगाने में की थी मदद सूरत. उमरा पुलिस ने सुरक्षाकर्मी अंकीत गिरी गौस्वामी की हत्या के मामले में एक और आरोपित को गिरफ्तार किया है। मामले की जांच कर रहे पुलिस निरीक्षक डी.एच.गौर ने बताया कि सिटीलाइट चंद्रमणी सोसायटी निवासी राजेश शाह (24) भी अठवालाइन्स अंजनशलाका बिल्ंिडग के सुरक्षाकर्मी अंकीत गिरी गौस्वामी की हत्या में लिप्त था। राजेश शाह ने अंकीत की हत्या के मुख्य आरोपित पंकज झा व रविसिंह राजपूत की मदद की थी।
अंकीत उसके मातहत पंकज व रविसिंह से सख्ती से काम लेता था और लापरवाही बरतने पर उनकी शिकायत करता था। जिसकी वजह से वे उससे रंजिश रखे हुए थे। अंकीत को रास्ते से हटाने के लिए उन्होंने हत्या की साजिश रची और बहला फुसला कर अपने साथ ले गए। चाकू से उसकी हत्या करने के बाद उसका शव वेसू गेल रेजिडेंसी के निकट खड्डे में फेंकने के लिए उन्होंने अपने मित्र व परिचित सुरक्षाकर्मी राजेश शाह की मदद ली थी। २६ जुलाई को पुलिस को शव बरामद हुआ था। उसके बाद अंकीत के चाचा ने उसकी शिनाख्त की थी। पंकज व रविसिंह के पकड़े जाने पर राजेश फरार हो गया था लेकिन पुलिस ने शनिवार रात उसे भी धर दबोचा।