रबी की फसलें पकने से पहले ही तोड़ने लगी दम
मौसम की बेरुखी : फसलों पर मार

सिलवासा. समय से पहले गर्मी की दस्तक एवं शीत ऋतु में मावठ नहीं होने इस बार रबी की फसलें पकने से पहले दम तोडऩे लगी हैं। गेहंू, चना, अरहर और सरसों की फसलें अधिक वृद्धि नहीं कर पाई हैं। मार्च आते ही मौसम तेजी से परिवर्तित होने लगा है। तापमान बढऩे से फसलों में सिंचाई की जरूरत सताने लगी है। प्यास के मारे बिना पके ही फसलें झुलस रही हैं।
इस बार मौसम किसानों के अनुकूल नहीं है। प्रतिवर्ष शीत ऋतु में मावठ होने से रबी की फसलें बिना सिंचाई के पूर्ण हो जाती थीं। दुधनी, आंबोली, सुरंगी, खेरड़ी, खानवेल, रूदाना, मांदोनी, रांधा के गांवों में करीब 3 हजार हैक्टर जमीन पर रबी की बुवाई हुई हैं।
वरिष्ठ कृषि अधिकारी एस भोया ने बताया कि कोरोना के कारण रोजगार घटने से किसानों ने रबी की ऋतु में जमकर खेती की हैं। मौसम के जल्दी पलटी खाने से फसलों में सिंचाई की जरूरत महसूस होने लगी है। अक्सर जनवरी या फरवरी माह में एक बार बारिश (मावठ) हो जाती थी, लेकिन इस साल मौसम किसानों से रूठ गया है। नमी के अभाव से फसलें सिंचाई के लिए तरस रही हैं। प्यास से गेहूं, जौ व चना की फसलों में ज्यादा नुकसान देखा जा रहा है। दुधनी, आंबोली, खानवेल विस्तार में नहरें नहीं हैं। इससे फसलों में सिंचाई का अभाव है। गर्म दिन आते ही फसलों में रोग व कीटो का संक्रमण होने लगा है। किसानों के अुनसार मैदानी क्षेत्रों की नहरें सूखी पड़ी है। कई खेतों में बीज और बुवाई का खर्च भी मिलना मुश्किल है।
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