सैकड़ों वर्ष पूर्व जब आतताई बादशाह औरंगजेब जब हिन्दू मंदिरों का नाश करने निकला था, तब उसे भी भगवान गणेश ने भंवरों के रूप में प्रगट होकर सबक सिखाया था। मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना मंदिरों को उजाड़ते हुए वर्ष 1662 में नवसारी के गणेशवड़ सिसोद्रा गांव पहुंची। उस समय मंदिर बेहद छोटा था। मंदिर के पुजारी सुभाषभारती गोस्वामी के अनुसार औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करना चाहा, लेकिन उसी समय बप्पा ने चमत्कार दिखाया। गणेशवड़ से (जहां गणपतिजी प्रकट हुए थे) बड़ी संख्या में भंवरे निकले और मुगल सैन्यबल पर टूट पड़े। सैनिकों ने खेमें में पहुंचकर बादशाह को जब मंदिर के बारे में बताया, तो उसका सिर भी बप्पा के सजदे में झुक गया। वह तुरंत बप्पा के दरबार में पहुंचा और माफी मांगी। साथ ही मंदिर और आस-पास की 20 बीघा जमीन गणेशवड़ मंदिर को दान में दे दी।
नवसारी में इन दिनों गणेशोत्सव की धूम चरम पर है। श्रीजी के दर्शन करने हजारों भक्त देर रात तक सड़क़ों पर उमड़ते हैं। दक्षिण गुजरात के एकमात्र स्वयंभू भगवान श्रीगणेश के दर्शन करने खास कर मंगलवार वन गणेश चतुर्थी को भक्त दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि यहां जो भी सच्चे मन से विघ्नहर्ता से मांगता है, उसकी हर मनोकामना बप्पा पूर्ण करते हैं।
हम यहां कई वर्षों से आ रहे हैं। बप्पा के दर्शन करने से मन को शांति मिलती है। मेरे बेटे का एक्सीडेन्ट हुआ था, मैंने उसके ठीक होने की प्रार्थना की थी, जो विघ्नहर्ता ने पूरी की। बप्पा से श्रद्धा से कुछ मांगते हैं, वो उसे पूरा करते हैं।
जागृति नायक, श्रद्धालु, कबीलपोर, नवसारी
हजारों वर्षों से भगवान श्रीगणेश यहां स्वयंभू विराजे हंै। श्रीगणेश पुराण में भी बरगद में स्वयंभू गणेश की बात आती है, जो इसी गणेश मंदिर का वर्णन है। मुगल बादशाह औरंगजेब ने भी बप्पा के चमत्कार के बाद उनके आगे सिर झुकाया था। आज भी हमारे पास बादशाह के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज हंै। विघ्नहर्ता से जो भी मनोकामना की जाती है, वह पूरी करते हैं। इसके कारण यहां गुजरात सहित पूरे देश से श्रीजी भक्त आते हैं।
सुभाष भारती गोस्वामी, पुजारी, गणेशवड़