scriptजब मुगल सम्राट औरंगजेब भी विघ्नहर्ता के सामने हारा | When the Mugal emperor Aurangzeb also lost in front of the ganesh | Patrika News

जब मुगल सम्राट औरंगजेब भी विघ्नहर्ता के सामने हारा

locationसूरतPublished: Sep 16, 2018 10:59:50 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

गणपति महोत्सव विशेषसिसोद्रा गांव में बरगद के नीचे विराजे हैं स्वयंभू श्रीगणेश सिर झुकाकर 20 बीघा जमीन दान की

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जब मुगल सम्राट औरंगजेब भी विघ्नहर्ता के सामने हारा


नवसारी. श्रीगणेश पुराण में नवसारी के गणेश सिसोद्रा गांव स्थित गणेशवड़ यानि बरगद के नीचे विराजित स्वयंभू श्रीगणेश की महिमा वर्णित है। हजारों वर्ष पूर्व अपने भक्त के खातिर विघ्नहर्ता ने उसे दर्शन देकर भोजन कराया था। वहीं, सैंकड़ों वर्ष पूर्व जब मुगल बादशाह औरंगजेब ने गणेशवड़ मंदिर को तोडऩा चाहा, तो उसे भी विघ्नहर्ता ने सबक सिखाया और हारे बादशाह ने भगवान श्रीगणेश के दर पर शीश झुकाकर आस-पास की 20 बीघा जमीन दान कर दी थी। गणेशवड़ के स्वयंभू गणेश के दर्शन करने आज भी हजारों लोग पहुंचते हैं।
कहा जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व भक्तों का एक संघ पदयात्रा पर निकला था। इसमें एक लंबोदर का परम भक्त था, जो उनके दर्शन किए बिना ना तो पानी पीता और न ही भोजन करता था। मीलों चलने के बाद जब संघ नवसारी के सिसोद्रा गांव पहुंचा, तो उन्होने रात्रि विश्राम कर सुबह आगे बढऩे का निर्णय किया। सिसोद्रा में कोई गणेश मंदिर नहीं होने से श्रीजी भक्त को भूखा-प्यासा ही सोना पड़ा। इस पर विघ्नहर्ता ने रात को उसकेसपने में दर्शन दिए और कहा कि कल सुबह तुम मेरे दर्शन कर सकेगो। दूसरे दिन सुबह जब श्रीजी भक्त उठा, तो चमत्कार हुआ, संघ जहां रुका था, वहीं एक बरगद के पेड़ में साक्षात भगवान श्रीगणेश की प्रतिकृति दिखाई दी। भावविभोर होकर भक्त ने एकदंत के दर्शन किए और अन्न-जल ग्रहण किया। उसी दिन से सिसोद्रा गांव गणेशवड़ सिसोद्रा के नाम से प्रचलित हो गया।
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भंवरों के रूप में बादशाह को विघ्नहर्ता ने सिखाया सबक
सैकड़ों वर्ष पूर्व जब आतताई बादशाह औरंगजेब जब हिन्दू मंदिरों का नाश करने निकला था, तब उसे भी भगवान गणेश ने भंवरों के रूप में प्रगट होकर सबक सिखाया था। मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना मंदिरों को उजाड़ते हुए वर्ष 1662 में नवसारी के गणेशवड़ सिसोद्रा गांव पहुंची। उस समय मंदिर बेहद छोटा था। मंदिर के पुजारी सुभाषभारती गोस्वामी के अनुसार औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करना चाहा, लेकिन उसी समय बप्पा ने चमत्कार दिखाया। गणेशवड़ से (जहां गणपतिजी प्रकट हुए थे) बड़ी संख्या में भंवरे निकले और मुगल सैन्यबल पर टूट पड़े। सैनिकों ने खेमें में पहुंचकर बादशाह को जब मंदिर के बारे में बताया, तो उसका सिर भी बप्पा के सजदे में झुक गया। वह तुरंत बप्पा के दरबार में पहुंचा और माफी मांगी। साथ ही मंदिर और आस-पास की 20 बीघा जमीन गणेशवड़ मंदिर को दान में दे दी।
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जमीन के दस्तावेज फारसी में

दान में दी जमीनके दस्तावेज आज भी मंदिर संचालकों के पास उपलब्ध है। जो फारसी में लिखे हुए हैं और उसमें बादशाह औरंगजेब के दस्तखत भी हैं।
नवसारी में इन दिनों गणेशोत्सव की धूम चरम पर है। श्रीजी के दर्शन करने हजारों भक्त देर रात तक सड़क़ों पर उमड़ते हैं। दक्षिण गुजरात के एकमात्र स्वयंभू भगवान श्रीगणेश के दर्शन करने खास कर मंगलवार वन गणेश चतुर्थी को भक्त दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि यहां जो भी सच्चे मन से विघ्नहर्ता से मांगता है, उसकी हर मनोकामना बप्पा पूर्ण करते हैं।
दर्शन से मिलती है मन को शांति
हम यहां कई वर्षों से आ रहे हैं। बप्पा के दर्शन करने से मन को शांति मिलती है। मेरे बेटे का एक्सीडेन्ट हुआ था, मैंने उसके ठीक होने की प्रार्थना की थी, जो विघ्नहर्ता ने पूरी की। बप्पा से श्रद्धा से कुछ मांगते हैं, वो उसे पूरा करते हैं।
जागृति नायक, श्रद्धालु, कबीलपोर, नवसारी
गणेश पुराण में है यहां का वर्णन
हजारों वर्षों से भगवान श्रीगणेश यहां स्वयंभू विराजे हंै। श्रीगणेश पुराण में भी बरगद में स्वयंभू गणेश की बात आती है, जो इसी गणेश मंदिर का वर्णन है। मुगल बादशाह औरंगजेब ने भी बप्पा के चमत्कार के बाद उनके आगे सिर झुकाया था। आज भी हमारे पास बादशाह के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज हंै। विघ्नहर्ता से जो भी मनोकामना की जाती है, वह पूरी करते हैं। इसके कारण यहां गुजरात सहित पूरे देश से श्रीजी भक्त आते हैं।
सुभाष भारती गोस्वामी, पुजारी, गणेशवड़
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