scriptबेहोश मिले वृद्ध को सीएमओ ने वार्ड में भर्ती किया तो रेजिडेंट का फिर अभद्र व्यवहार! | When the old man found unconscious was admitted to the ward by the CMO | Patrika News

बेहोश मिले वृद्ध को सीएमओ ने वार्ड में भर्ती किया तो रेजिडेंट का फिर अभद्र व्यवहार!

locationसूरतPublished: Sep 23, 2021 10:08:48 pm

Submitted by:

Sanjeev Kumar Singh

– न्यू सिविल अस्पताल : ट्रॉमा सेंटर में हंगामे जैसा माहौल…
– ट्रॉमा सेंटर के ऑब्जर्वेशन रूम में 4 घंटे पड़ा रहा मरीज तब सीएमओ ने लिया एक्शन, अधीक्षक को की शिकायत

बेहोश मिले वृद्ध को सीएमओ ने वार्ड में भर्ती किया तो रेजिडेंट का फिर अभद्र व्यवहार!

बेहोश मिले वृद्ध को सीएमओ ने वार्ड में भर्ती किया तो रेजिडेंट का फिर अभद्र व्यवहार!

सूरत.

न्यू सिविल अस्पताल के मेडिसिन विभाग की ओपीडी के सामने बुधवार सुबह बेहोश मिले वृद्ध को इमरजेंसी में ट्रॉमा सेंटर लाया गया, लेकिन मेडिसिन विभाग के रेजिडेंट ने वृद्ध को शाम चार बजे तक भर्ती नहीं किया। सीएमओ ने मरीज को मेडिसिन ई-तीन वार्ड में भर्ती किया तो वहां से दो रेजिडेंट ट्रॉमा सेंटर आए और अभद्र व्यवहार शुरू कर दिया। इस घटना में सीएमओ ने अस्पताल अधीक्षक से रेजिडेंट के व्यवहार को लेकर शिकायत की है।
न्यू सिविल अस्पताल में मेडिसिन विभाग के बाहर रोजाना सैकड़ों मरीजों की भीड़ जुट रही है। शहर में मौसमी बीमारियों के साथ दूसरे जिलों के मरीज भी ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं। इसी दौरान बुधवार को मेडिसिन विभाग के बाहर एक वृद्ध व्यक्ति बेहोशी की हालत में मिला। वह इलाज के लिए लाइन में था, लेकिन तबीयत इतनी गंभीर हो गई कि वह वहीं गिर गया। स्थानीय लोगों ने स्टाफ को जानकारी दी। उसे ट्रॉमा सेंटर में लाया गया। सीएमओ ने मेडिसिन विभाग में वृद्ध को रेफर कर दिया। लेकिन रेजिडेंट ने उसे प्राथमिक इलाज किया, लेकिन वार्ड में भर्ती नहीं किया।
केस पेपर पर उसका नाम शिवाजी दौलत पाटील (60) है। उसने सुबह 11.43 बजे केस पेपर निकलवाया था। शाम 4 बजे सीएमओ ने उसे मेडिसिन वार्ड में भर्ती किया। इसकी जानकारी मिलने पर यूनिट-3 के दो रेजिडेंट डॉक्टर ट्रॉमा सेंटर पहुंच गए और भर्ती करने वाले सीएमओ के साथ लड़ाई करने लगे। उन्होंने बॉन्ड वाले डॉक्टर कहकर अभद्र व्यवहार की सभी सीमाएं पार कर दी। इस घटना के चलते ट्रॉमा सेंटर में हंगामे जैसा माहौल हो गया। नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ और परिजनों का जमावड़ा हो गया था।
सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ समय से रेजिडेंट डॉक्टर (प्रथम वर्ष) को ट्रॉमा सेंटर में ड्यूटी दी जा रही है। जबकि कोविड-19 के पहले द्वितीय और तृतीय वर्ष के रेजिडेंट डॉक्टर ड्यूटी करते थे। अब जब भी मरीज को भर्ती करना होता है तो सीनियर अनुमति देने में देर लगाते हैं और यहां जूनियर डॉक्टर के बीच मरीज ***** रहा होता है। आए दिन ऐसी घटनाएं बढऩे से अस्पताल की छवि भी धूमिल होती है। दूसरी तरफ विभाग के सीनियर प्रोफेसर अपने रेजिडेंट पर इमरजेंसी के मरीजों को एक घंटे में भर्ती करने का नियम पालन करवाने में लापरवाह दिखाई देते हैं।
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