scriptचोरी के बाद भी पुलिस के पास जाने से कतरा रहे व्यापारी | Why is the businessman scared of going to the police even after theft | Patrika News
सूरत

चोरी के बाद भी पुलिस के पास जाने से कतरा रहे व्यापारी

व्यापारियों का माल भी कानूनी दावपेंच में पड़कर सालों तक सरकारी तिजोरी में पड़ा रहता है

सूरतJan 20, 2019 / 09:10 pm

Pradeep Mishra

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चोरी के बाद भी पुलिस के पास जाने से कतरा रहे व्यापारी

कपड़ा व्यापार सूरत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी के समान है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर से 30 लाख से अधिक लोग इस उद्योग से जुड़े हैं, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन कपड़ा व्यापारियों को सुरक्षा देने में पीछे हैं।
रिंगरोड पर लगभग 150 कपड़ा मार्केट हैं और इनमें 40 हजार से अधिक दुकानें हैं। सूरत के कपड़ा उद्योग का वार्षिक टर्नओवर 60 हजार करोड़ रुपए का है। यहां कपड़ों के व्यापार के साथ ही चोरी के कपड़ों को बेचने का धंधा भी पनप रहा है। रिंगरोड पर स्थित कपड़ा मार्केट में प्रतिदिन पांडेसरा, सचिन, उधना, कड़ोदरा, कतारगाम सहित अनेक स्थानों से लाखों मीटर ग्रे और प्रोसेस हुआ माल टैम्पो से पहुंचता है। उसी तरह मार्केट से हजारों पार्सल ट्रांसपोर्ट तक टैम्पो से पहुंचाए जाते हैं। ग्रे माल और पार्सलों को ठिकाने तक पहुंचाने के बीच में ही प्रतिदिन लाखों का मार पार हो जाता है। सक्रिय चोर टैम्पो चालकों और क्लीनर का ध्यान हटाकर पार्सल और ग्रे की चोरी कर लेते हैं। इस प्रकार की चोरी का शिकार छोटे, मध्यम और बडे सभी व्यापारी बनते हैं। बड़े व्यापारियों की पैठ पुलिस प्रशासन में होने के कारण शायद उनकी तो सुनवाई हो जाती है, लेकिन छोटे व्यापारी चोरी की शिकायत करने तक नहीं जाते। उन्हें चोरी के बाद पुलिस में भी अपने माल को साबित करने में मशक्कत करनी पड़ती है। इस कारण वे पुलिस तक नहीं जाते। जो जाते हैं उन व्यापारियों का माल भी कानूनी दावपेंच में पड़कर सालों तक सरकारी तिजोरी में पड़ा रहता है
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