scriptलिव इन में रहने वाली पत्नी को भरण-पोषण पाने का अधिकार | Wife of living in live in relationship right | Patrika News

लिव इन में रहने वाली पत्नी को भरण-पोषण पाने का अधिकार

locationसूरतPublished: May 21, 2019 10:17:18 pm

निचली कोर्ट के फैसले के खिलाफ पति की अपील याचिका नामंजूर

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लिव इन में रहने वाली पत्नी को भरण-पोषण पाने का अधिकार

सूरत. पत्नी के अन्य व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बावजूद पति के साथ उसका पत्नी का रिश्ता खत्म नहीं हो जाता। उसे पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार है। यह मानते हुए कोर्ट ने निचली कोर्ट के भरण-पोषण के फैसले के खिलाफ पति की अपील याचिका नामंजूर कर दी।

कतारगाम निवासी राजेश की शादी वर्ष 1986 में मनीषा के साथ हुई थी। शादी के बाद राजेश पत्नी को प्रताडि़त करता था। बाद मेें उसने उसे घर से निकाल दिया। पत्नी ने आंखों की बीमारी के उपचार के लिए हुए खर्च तथा किराए और मुआवजे के लिए पति के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे मंजूर करते हुए कोर्ट ने पति को उपचार खर्च के तौर पर 50 हजार, प्रति माह किराए के तौर पर 1200 रुपए तथा पांच हजार रुपए मुआवजा चुकाने का आदेश दिया था। निचली कोर्ट के फैसले को पति ने सेशन कोर्ट मे चुनौती दी। सुनवाई के दौरान पति ने कोर्ट के समक्ष पत्नी के अन्य व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के दस्तावेज पेश किए और याचिका मंजूर करने की मांग की। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रीति जोशी ने पैरवी की। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों और सबूतों को ध्यान में रखते हुए पति की अपील याचिका नामंजूर कर दी। कोर्ट ने फैसले में कहा कि पत्नी के अन्य व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बावजूद पति-पत्नी का रिश्ता खत्म नहीं हो जाता। पत्नी को पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार है।

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