सूरत

WORLD CANCER DAY : देशभर के 80 हजार कैंसर पीड़ित बच्चों में 337 गुजरात के

सूरत. कैंसर के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से मनाए जाने वाले विश्व कैंसर दिवस WORLD CANCER DAY की थीम इस बार क्लोज द केयर गैप रखी गई है। साल 2022 में देश में कैंसरी पीड़ित 20 लाख से अधिक लोगों में 80 हजार बच्चे हैं। इनमें 337 बच्चे गुजरात के हैं। विश्व में हर साल चार लाख से अधिक बच्चे कैंसर का शिकार होते हैं। 3 मिनट में कैंसर की वजह से एक बच्चे की मृत्यु हो रही है।

सूरतFeb 06, 2023 / 11:57 am

Divyesh Kumar Sondarva

WORLD CANCER DAY : देशभर के 80 हजार कैंसर पीड़ित बच्चों में 337 गुजरात के

WORLD CANCER DAY राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के आठ महीनों में गुजरात के 88 लाख 49 हजार 809 बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गई थी। सूरत जिले में सबसे अधिक 7.40 लाख, बनासकांठा जिले में 6.47, खेड़ा जिले में 4.64 लाख, कच्छ जिले में 4.44 लाख, अहमदाबाद में 3.92 लाख, मेहसाणा में 3.90 लाख, आणंद में 3.87 लाख और राजकोट में 3.27 लाख बच्चों की जांच की गई। 88.49 लाख बच्चों की जांच में पाया गया कि 3,195 बच्चों में 2,110 बच्चे दिल, 724 किडनी और 337 बच्चे कैंसर से पीड़ित हैं। 13 बच्चों की किडनी, 10 बच्चों का बोन मेरो और 1 बच्चे का लिवर ट्रांसप्लांट कर जान बचाई गई।

– बच्ची ने दी ब्लड कैंसर को मात :
साढे तीन साल की बच्ची का एक माह से बुखार कम नहीं हो रहा था। कोई दवा असर नहीं की तो ब्लड कैंसर की आशंका पर चिकित्सकों ने बोन मेरो की जांच की। पता चला कि बच्ची एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया से ग्रस्त है। समय से उपचार मिलने पर 6 से 8 माह में बच्ची स्वस्थ हो गई।
– कीमोथेरेपी से बच गई जान :
साढे तीन साल की बच्ची का एक माह से बुखार कम नहीं हो रहा था। कोई दवा असर नहीं की तो ब्लड कैंसर की आशंका पर चिकित्सकों ने बोन मेरो की जांच की। पता चला कि बच्ची एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया से ग्रस्त है। समय से उपचार मिलने पर 6 से 8 माह में बच्ची स्वस्थ हो गई।
– बच्चों में कैंसर के मुख्य प्रकार :
बच्चों में ब्लड कैंसर जैसे ल्यूकेमिया और लिंफोमा, दिमाग, किडनी, हड्डी, लीवर और आंख के परदे का कैंसर पाया जाता है। बच्चों में ल्यूकेमिया और लिंफोमा ट्यूमर वयस्कों के मुकाबले कम जानलेवा है। सही समय पर उपचार मिले तो बच्चे पूर्ण स्वस्थ हो सकते हैं। इसे लेकर अभिभावकों को जागरूक करने की जरूरत है।
-डॉ. दर्शन चौहान, नियोनेटोलॉजिस्ट और पीडियाट्रिक

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