1979 में स्कूल को जिला पंचायत शिक्षा समिति द्वारा शुरू किया गया था, लेकिन जमीन वापी नपा के हस्तक है। जर्जर हालत में पहुंची स्कूल की जगह 2015 में सात कमरों वाले नए भवन की मंजूरी और ग्रान्ट भी मिली थी। नगरपालिका द्वारा एनओसी नहीं देने से काम शुरू नहीं हुआ और ग्रान्ट भी वापस चली गई। हालांकि नगरपालिका ने मरम्मत की हामी भरी है। कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा स्कूल में समय-समय पर मदद दी जाती है।
जिला शिक्षा समिति ने नगर पालिका से दूसरी जगह भी जमीन मांगी है, लेकिन इस विस्तार में नपा के पास दूसरी जमीन न होने का कारण बताकर मामला टाल दिया जाता रहा है। हालांकि पूर्व में नपा ने एक मंजिला नया स्कूल भवन बनाने के प्रस्ताव पर नीचे का हिस्सा नपा के उपयोग के लिए मांगा था, जिसे शिक्षा विभाग ने नामंजूर कर दिया था। इस बारे में नपा उपाध्यक्ष विट्ठल पटेल ने बताया कि इस विस्तार के ही बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। उसी विस्तार मेंं स्कूल को दे सकें ऐसी जमीन नपा के पास नहीं है।
स्कूल की प्रिंसिपल पन्नाबेन पटेल के अनुसार काफी पुरानें एवं सड़क की सतह से नीचे होने से सबसे ज्यादा परेशानी बरसात में होती है। यहां हर साल पानी भरता है। पुराने पड़ चुके पतरों से पानी भी कई कमरों में टपकता है। उन्होने बताया कि नए स्कूल भवन के लिए नगरपालिका से मंजूरी के लिए कई प्रयास हुए हैं। शिक्षा विभाग और नपा के बीच सहमति नहीं बन पाने से स्कूल के विद्यार्थियों को परेशानी भरे हालात में पढऩा पड़ रहा है।