scriptदक्षिण की अयोध्या : जहां कभी माता सीता और लक्ष्मण के साथ आए थे श्री राम | Ayodhya of the south | Patrika News

दक्षिण की अयोध्या : जहां कभी माता सीता और लक्ष्मण के साथ आए थे श्री राम

locationभोपालPublished: Aug 02, 2020 12:37:04 am

एक गुफा में से आई थी आवाज कि माता मैं यहां हूं…

Ayodhya of the south

Ayodhya of the south

यूं तो देख में अनेक राम मंदिर मौजूद हैं, लेकिन इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर देश के दक्षिण में भी मौजूद है, जिसे दक्षिण की अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है।

दरअसल आंध्रप्रदेश में खम्मण जिले का शहर भद्राचलम है जहां श्री राम का प्रसिद्ध श्री सीताराम स्‍वामी मंदिर गोदावरी के तट पर बना हुआ है। कहते हैं कि ये मंदिर उसी स्‍थान पर निर्मित है जहां दक्षिण में माता सीता और लक्ष्मण के साथ श्री राम आए थे।

भद्राचलम का ये श्रीराम मंदिर हिन्दुओं की आस्था से गहरा जु़ड़ा एक प्रमुख धार्मिक स्थान है। भक्त इस स्थान को दक्षिण की अयोध्या के नाम से भी बुलाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर पर्णकुटी बनाकर भगवान राम वनवास की काफी लंबी अवधि तक रहे थे।

पर्णशाला नाम की वह जगह यहां अब भी मौजूद है जिसे राम जी कुटी बना कर रहे थे। यहां मौजूद कुछ शिलाखंडों के बारे में किंवदंती है कि सीताजी ने वनवास के दौरान यहां अपने वस्त्र सुखाए थे। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार रावण ने सीताजी का अपहरण यहीं से किया था।

मंदिर निर्माण की अनोखी कथा…
इस स्थान के वनवासियों की एक जनश्रुति के अनुसार यहां पर राम मंदिर बनने के पीछे एक बेहद रोचक कहानी है। कहते हैं कि दम्मक्का नाम की राम जी की एक भक्त वनवासी महिला भद्रिरेड्डीपालेम ग्राम में रहती थी।

उसका राम नाम का एक गोद लिया हुआ पुत्र भी था। एक दिन वो पुत्र वन में कहीं खो गया और उसे खोजते हुए दम्मक्का जंगल में पहुंची। जब वो पुत्र का नाम राम कह कर आवाज लगा रही थी, तभी उसे एक गुफा में से आवाज आई कि माता मैं यहां हूं।

वहां पहुंचने पर दम्मक्का को राम लक्ष्मण और सीता की प्रतिमाएं मिलीं। भक्ति से विभोर दम्मक्का को अपना पुत्र भी उसी स्थान पर मिल गया। इस पर दम्मक्का ने संकल्प किया कि वो इसी स्थान पर श्री राम का मंदिर बनाएंगी। इसके बाद उन्होंने बांस की छत बनाकर एक अस्थाई मंदिर निर्मित कर दिया।

समय के साथ वो स्थान वनवासी समुदाय में भद्रगिरि या भद्राचलम नाम से प्रचलित हो गया और वे उसी पहाड़ी गुफा में राम जी का पूजन करने लगे।

बाद में यही मंदिर आंध्रप्रदेश के खम्मण जिले के भद्राचलम स्थित राम मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ। यही कारण है कि भद्राचलम वनवासी बहुल क्षेत्र है और राम वनवासियों के पूज्य हैं।
बांस से बने इस अस्थाई प्राचीन मंदिर का मध्यकाल में रामभक्त कंचली गोपन्ना नामक एक तहसीलदार ने जीर्णोद्धार करवाकर उसी स्थान पर पत्थरों का भव्य मंदिर बनवाया। मंदिर बनवाने के कारण सब उनको रामदास कहने लगे। कहते हैं कि यही रामदास, संत कबीर के आध्यात्मिक गुरु थे। रामदास/स्वामी रामानंद से ही रामानंदी संप्रदाय की दीक्षा प्रारंभ हुई थी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो