भूमिधर मंदिर, कुमायूं
कुमायूं में इस स्थान को एक भक्त ने महाराजजी को दान में दिया था। पहले यहां एक कमरा और फिर एक छोटा मंदिर बनवाया गया। इस स्थान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि राम दास (रिचर्ड अल्पर्ट) यहीं महाराजजी से पहली बार मिले थे।
कहानीः यहां पहले पहाड़ी दरकने की घटना होती थी, मान्यता है कि जब से बाबा ने यहां मंदिर बनवाया तब से ऐसी घटनाएं बंद हो गईं।
हनुमानगढ़ी मंदिर, नैनीताल
हनुमानगढ़ी मंदिर नैनीताल के पास है। कुछ लोग इसे ही महाराजजी द्वारा बनवाया गया पहला मंदिर मानते हैं। नैनीताल के पास स्थित इस जगह को पहले मनोरा पहाड़ी कहा जाता था, यह तब एक निर्जन स्थान था। यहां आने के बाद महाराजजी ने यहां एक मंदिर बनवाया। बाद में इस मंदिर को सरकारी ट्रस्ट को सौंप दिया।
कैंची आश्रम, नैनीताल
नैनीताल से 17 किलोमीटर और भवाली से 9 किलोमीटर दूर नैनीताल अल्मोड़ा मार्ग पर यह मंदिर स्थित है। यहां बाबा नीब करौली का आश्रम है। यह जगह दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहां दो तीव्र मोड़ों के कारण इस जगह का नाम कैंची पड़ा है। 15 जून को यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। जिसमें देश विदेश से श्रद्धालु शामिल होने आते हैं।
कांकरीघाट मंदिर
बाबा नीब करोरी ने यहां भी मंदिर बनवाया था। यह स्थान कैंची धाम से 22 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा मार्ग पर है। यह वही स्थान है जहां पर सोमबारी बाबा रहते थे और तपस्या करते थे। स्वामी विवेकानंद ने भी इसी स्थान पर तपस्या की थी और यहां पहली बार ज्ञान का अनुभव किया था।
हनुमान सेतु मंदिर, लखनऊ आश्रम
गोमती नदी के किनारे लखनऊ में हनुमानसेतु पुर के पास भी बाबा नीब करोरी ने मंदिर बनवाया था, यहीं बाबा का लखनऊ का आश्रम भी है। 26 जनवरी को यहां विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।
कहानीः कहा जाता है कि जब गोमती नदी का पुल बनवाया जा रहा था तो पुल बार-बार गिर जाता था। फिर बाबा ने एक अधिकारी के सपने में आकर निर्माण स्थल के पास हनुमानजी का मंदिर बनाने के लिए कहा। जब पुल के साथ मंदिर बनवाया जाने लगा तब निर्माण कार्य पूरा हो सका। यहां 26 जनवरी 1967 को मंदिर बनकर तैयार हुआ।
महरौली आश्रम दिल्ली
दिल्ली के महरौली के पास छतरपुर में यह मंदिर स्थित है। यह मंदिर एक अस्पताल और दो स्कूलों के संचालन में सहयोग देता है। कहा जाता है बाबा नीब करोरी नहीं चाहते थे कि इस मंदिर का अधिक प्रचार प्रसार हो, इसलिए इस मंदिर को गुप्त महरौली मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
नीब करोरी मंदिर, फर्रुखाबाद
नीब करोरी मंदिर उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में है। कहा जाता है कि महाराजजी गुजरात से यहां आए और अपनी तपस्या को आगे बढ़ाया। वह गांव वालों द्वारा बनाई गई एक गुफा में रहते थे। यहां बाद में मंदिर बनवाया गया।
पनकी मंदिर, कानपुर
पनकी रेलवे स्टेशन के पास कानपुर (उत्तर प्रदेश) में एक छोटा सा मंदिर है। कहा जाता है कि बाबा नीम करोली ने ही इस मंदिर को बनवाया था। इस अद्भुत छोटे से मंदिर में एक खड़े हनुमानजी का वास माना जाता है। यह मंदिर प्रसिद्ध पनकी हनुमान मंदिर के पास है।
वृंदावन आश्रम, मथुरा
उत्तर प्रदेश में वृंदावन में बाबा नीम करोली ने एक आश्रम बनवाया था, यहां बाबाजी ने मंदिर भी बनवाया था। महाराजजी ने यहां अपना शरीर त्यागा था। इसलिए इसे इनकी समाधि स्थल कहा जाता है।