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यहां स्थित हैं स्वयंसिद्ध, ऐतिहासिक 12 शिवलिंग, पुराणों में भी उल्लेख

Published: Aug 17, 2015 12:38:00 pm

Submitted by:

आभा सेन

नर्मदा के त्रिपुरी तीर्थ में विद्यमान बारह स्वयंसिद्ध शिवलिंग, नर्मदा तट पर शास्त्रों में उल्लेखित बारह शिवलिंग

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संस्कारधानी के लोगों को देवाधिदेव महादेव और नर्मदा के प्रेम स्नेह का प्रमाण कदम-कदम पर मिलता है। शिव अपने अनोखे रूप मणिनागेश्वर के रूप में विराजमान हैं तो कहीं नर्मदा मां मक्रवाहिनी बनकर भक्तों का उद्धर कर रही है। स्कंद पुराण, नर्मदा पुराण, शिव पुराण, वामन पुराण तथा उपनिषद, वशिष्ट संहिता इस बात को प्रमाणित करते हैं कि त्रिपुरी तीर्थ में विद्यमान बारह स्वयंसिद्ध शिवलिंग प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व रखते हैं।

पिप्पलेश्वर महादेव

हनुमानगढ़ी के पास स्थित अतिप्राचीन पिप्पलेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित है। महर्षि पिपलाद द्वारा स्थापित शिवलिंग का मंत्रोच्चारण के साथ नर्मदा स्नान पश्चात पूजन करना शुभ फलदायी होता है।
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तिलादेश्वर महादेव

नर्मदा के दक्षिण तट पर विराजमान भगवान शिव का जाबालि ऋषि द्वारा तिल से अभिषेक तथा जप-तप करने पर इनका नाम तिलादेश्वर महादेव पड़ा। वर्तमान में इस घाट को तिलवाराघाट के नाम से जाना जाता है।

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गुप्तेश्वर महादेव

रामेश्वरम ज्योतिर्र्लिंग का उपलिंग भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गुह्रश्वतेश्वर की स्थापना पूजन भगवान श्रीराम ने अपने अनुज लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान की थी।

ब्रह्मेश महादेव

नर्मदा के दक्षिण तट त्रिशूल भेद स्थित ब्रह्मïेश महादेव विराजमान हैं। ब्रह्मश महादेव का विधि विधान से पूजन,रुद्राभिषेक करने तथा अपने कर्मों का प्रायश्चित करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आदित्येश्वर महादेव

ल्हेटाघाट के उत्तर तट स्थित सूर्यकुंड नीलगिरि पर्वत के पास विराजमान भगवान आदित्येश्वर महादेव रोग, दोष से मुक्ति दिलाते हैं। सूर्यकुंड में स्नान के पश्चात सूर्यदेव के दर्शन व आदित्येश्वर का पूजन करने से अंधत्व, वाणी, कुरूपता से मुक्ति मिलती है।

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भगवान पशुपतिनाथ

गोकलपुर स्थित पशुपतिनाथ भगवान का त्रिआयामी शिवलिंग अपनी भव्यता के कारण प्रसिद्ध हैं। श्रीयंत्र वाले इस मंदिर
की छटा निराली है। ऐसी माना जाता है कि पशुपतिनाथ भगवान की स्थापना राजा बली के पुत्र बाण ने की थी।

नागेश्वर महादेव

तिलवाराघाट के उत्तर तट स्थित नागेश्वर महादेव की स्थापना वासुकी नाग द्वारा की गई थी। ऐसा माना जाता है कि शिव ने वासुकी को नर्मदा तट पर स्नान करने कहा, जिससे उसे अपनी मुख्य योनि प्राप्त हुई थी।

भूतेश्वर महादेव

त्रिपुरी तीर्थ में विद्यमान समस्त शिव तीर्र्थों में श्रेष्ठ भूतेश्वर महादेव का पूजन अर्चन भूत-भविष्य के पापों का नाश करते हैं। भूतनाथ की पहाड़ी पर विराजे भगवान का भस्म लेपन कर पुष्य नक्षत्र व अमावस्या तिथि पर पूजन करने से कुल का उद्धार होता है।

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सिद्धनाथ सिद्धेश्वर

गौरीशंकर महाराज, दादा धुनीवाले महाराज की तपोस्थली सिद्धघाट में विराजमान स्वयं भू शिवलिंग सिद्धनाथ सिद्धेश्वर की महिमा निराली है। स्कंद पुराण में उल्लेखित 28 शिवलिंगों में से एक सिद्धेश्वर महादेव भी शामिल हैं।
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गैबीनाथ महादेव

महाकौशल में नाथ पंरपरा की एकमात्र, पहचान ऋषि गैबी द्वारा स्थापित भगवान गैबीनाथ आज भी आस्था का केन्द्र बने हुए हैं। गढ़ा पुरवा की पहाडिय़ों के बीच स्वयं भू सिद्ध भगवान का शिवलिंग अपने आप में अलग पहचान रखता है।
 
नंदीकेश्वर महादेव
बरगी बांध के निकट पहाड़ी पर स्थित नंदीकेश्वर महादेव सिद्ध शिवलिंगों में से एक हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर नंदी सिद्धि को प्राप्त हुए थे। यहां शिव पूजन करने वालों को अग्नि स्तंभ यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

 कुम्भेश्वर महादेव

ग्राम ल्हेटी में भगवान श्रीराम-लक्ष्मण द्वारा एक जिलहरी में स्थापित दो शिवलिंग कु्भेश्वर महादेव के नाम से जाने जाते हैं। भगवान श्रीराम ने ब्रह्महत्या पाप के दोष निवारण के लिए वर्र्षों शिव उपासना की थी।

इनका कहना है

नर्मदा के अमरकंटक उद्गम स्थल से लेकर खंभात की खाड़ी तक हजारों तीर्थ विद्यमान हैं, इनमें त्रिपुरी तीर्थ सर्वश्रेष्ठक है। यहां के बारह स्वयं सिद्ध शिवलिंगों का उल्लेख पुराणों में मिलता है। पूरे सावन माह इन्हीं शिवलिंगों का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक विधि विधान से किया जा रहा है।

-समर्थ भैयाजी सरकार, संस्थापक समर्थ नर्मदा मिशन
 
त्रिपुरी तीर्थ में विद्यमान समस्त बारह शिवलिंगों का पूजन-अर्चन सिद्धस्थ्य द्वादश ज्योर्तिलिंगों के पूजन समान फल प्रदान करते हैं। नर्मदा खंड में करोंड़ों तीर्र्थों का उल्लेख मिलता है। जिनमें ये बारह शिवलिंग भी शामिल हैं।

-पं. द्वारकानाथ शुक्ल शास्त्री, वरिष्ठ नर्मदा चिंतक व मंगलचंडी धाम संस्थापक

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