इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान शिव को अर्पित करने के लिए सिगरेट लेकर जरूर आता है और भगवान शिव को अर्पित करता है, जिसे भोलेनाथ बड़े चाव से पीते हैं।
बताया जाता है कि जब भगवान शिव को सिगरेट अर्पित की जाती है, तो वह अपने आप ही सुलगने लगती है और इससे निकलने वाला धुआं देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान शिन उसे पी रहे हैं। इस दृश्य को देखने के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। लुटरू माहदेव के इस मंदिर में शिवलिंग में कई जगहों पर गड्ढे बने हुए हैं, जहां श्रद्धालु सिगरेट फंसा देते हैं।
बाघल रियासत के राजा ने इस मंदिर का निर्माण 1621 में किया था। बताया जाता है कि भगवान शिव ने सपने में एक दिन बाघल रियासत के राजा को दर्शन दिए और मंदिर निर्माण करने को कहा, तब राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया।