scriptदुनिया का इकलौता माता शारदा का मंदिर, जहां रात में कोई नहीं रूकता | shardiya navratri 2019: story of maa sharda devi temple maihar | Patrika News

दुनिया का इकलौता माता शारदा का मंदिर, जहां रात में कोई नहीं रूकता

locationभोपालPublished: Sep 26, 2019 04:18:08 pm

Submitted by:

Devendra Kashyap

सबसे ज्यादा मां दुर्गा का मंदिर पहाड़ों पर स्थापित है, जो अपने चमत्कारों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

maa_sharda_devi_temple.jpg
वैसे तो भारत में कोने-कोने में देवी दुर्गा का मंदिर स्थापित है। सभी मंदिरों की अलग-अलग मान्यताएं है। सबसे ज्यादा मां दुर्गा का मंदिर पहाड़ों पर स्थापित है, जो अपने चमत्कारों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इन मंदिरों में मां दुर्गा के दर्शन करने के लिए दुनिया भर के लोग भागे-भागे चले आते हैं।
maa_sharda_devi_temple1.jpg
दर्शन के लिए 1063 सिढ़ियां चढ़नी पड़ती है

आज हम एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दुनिया का इकलौता शारदा मंदिर है। यह मंदिर मैहर माता के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर पहाड़ियों के बीच है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के सतना जिले की मैहर में स्थित है। यह मंदिर त्रिकुट पर्वत पर बना है। यहां पर मां के दर्शन करने के लिए 1063 सिढ़ियां चढ़नी पड़ती है, तब मां के दर्शन होते हैं।
maa_sharda_devi_temple_maihar.jpg
आल्हा और उदल करते हैं पूजा

इस मंदिर के बारे कई कथाएं प्रचलित है। कहा जाता है कि इस मंदिर को रोज रात में बंद कर दिया जाता है और सुबह में जब कपाट खोले जाते हैं तो पूजा पहले से किया रहता है। मान्यता है इस मंदिर में माता का सबसे पहले आल्हा और उदल करते हैं उसके बाद ही कोई और करता है।
maa_sharda_devi_temple_maihar3.jpg
रात में कोई नहीं रूकता

कहा तो ये भी जाता है कि इस मंदिर में रात में कोई नहीं रूकता है अगर गलती से रूक भी गया तो उसकी मृत्यु हो जाती है। बताया जाता है कि इस मंदिर की खोज आल्हा और उदल ने की थी। यहां पर वैसे तो हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं लोकिन नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है।
maa_sharda_devi_temple.jpg
दुनिया का इकलौता शारदा मंदिर

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया का इकलौता शारदा मंदिर है। इस मंदिर माता के अलावा काल भैरवी, भगवान हनुमान, काली मां, गौरी शंकर, ब्रह्मदेव, फूलमती माता के अलावा अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इस मंदिर को 52 शक्तिपीठों में एक माना जाता है लेकिन इसका उल्लेख शास्त्रों में कहीं नहीं मिलता है।

ट्रेंडिंग वीडियो