त्रयोदशी जया संज्ञक तिथि रात्रि २.३१ तक, उसके बाद चतुर्दशी रिक्ता संज्ञक तिथि प्रारंभ हो जाएगी। यदि समयादि शुद्ध हो तो त्रयोदशी तिथि में यात्रा, प्रवेश, वस्त्रालंकार व अन्य मांगलिक कार्यादि करने योग्य हैं। पर कृष्ण त्रयोदशी में चन्द्रमा क्षीण होता है। १४ जनवरी को दोपहर बाद १.४७ पर सूर्यदेव वृष लग्न में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रान्ति का पुण्यकाल सूर्योदय से सम्पूर्ण दिन रहेगा। इस दिन तीर्थ स्थानों पर स्नानादि का विशेष माहात्म्य है। यदि वहां नहीं जा सकें तो घर में ही श्रद्धापूर्वक गंगाजलयुक्त जल से स्नान करें। वहीं उनका स्मरण करें यथा- ‘गङ्गे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिंधु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधं कुरु।’ का उच्चारण जरूर कर लें।
नक्षत्र: ज्येष्ठा ‘तीक्ष्ण व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र दोपहर बाद १.१४ तक, इसके बाद मूल ‘तीक्ष्ण व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र रहेगा। ज्येष्ठा व मूल दोनों ही गण्डान्त संज्ञक नक्षत्र है। विशिष्ट योग: दोपहर बाद १.१४ से अगले दिन सूर्योदय तक सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग है। चंद्रमा : दोपहर बाद १.१४ तक वृश्चिक राशि में, इसके बाद धनु राशि में प्रवेश करेगा। दिशाशूल : रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार उत्तर व पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है।
श्रेष्ठ चौघडि़ए :
आज प्रात: ८.४० से दोपहर १२.३६ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद १.५४ से अपराह्न ३.१३ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१५ से दोपहर १२.५६ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल :
सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।