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आज अमावस्या पर बने ये अशुभ योग, किसी भी कार्य को करते समय ये बातें ध्यान रखें

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6 years ago
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चतुर्दशी रिक्ता संज्ञक तिथि अंतरात्रि अगले दिन सूर्योदय पूर्व प्रात: ५.१२ तक, इसके बाद अमावस्या तिथि प्रारंभ हो जाएगी। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी व अमावस्या दोनों ही तिथियों में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं। पर अग्निविषादिक असद् कार्य, बंधन व शस्त्रादि दूषित कार्य करने योग्य हैं। नक्षत्र: मूल ‘तीक्ष्ण व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र सायं ४.१९ तक, इसके बाद पूर्वाषाढ़ा ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। मूल नक्षत्र में जन्मे जातकों के संभावित अरिष्ट निवारण की दृष्टि से २७ दिन बाद जब मूल नक्षत्र की पुनरावृत्ति हो उस दिन मूल शांति करा देना हितकर है। योग: ध्रुव नामक नैसर्गिक शुभ योग प्रात: ७.५९ तक, तदन्तर व्याघात नामक नैसर्गिक अशुभ योग है। व्याघात नामक योग की प्रथम ९ घटी शुभ कार्यों में त्याज्य हैं। करण: भद्रा संज्ञक विष्टि नामकरण अपराह्न ३.५२ तक, तदुपरान्त शकुनि आदि स्थिर संज्ञक करण रहेंगे।

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श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से प्रात: ८.४० तक अमृत, प्रात: ९.५९ से पूर्वाह्न ११.१७ तक शुभ तथा दोपहर बाद १.५५ से सूर्यास्त तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१५ से दोपहर १२.५७ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।

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व्रतोत्सव: आज मास शिवरात्रि, रटन्ती कालिका पूजन व थल सेना दिवस है। चन्द्रमा: चन्द्रमा सम्पूर्ण दिवारात्रि धनु राशि में है। दिशाशूल: सोमवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर आज धनु राशि के चन्द्रमा का वास पूर्व दिशा की यात्रा में सम्मुख रहेगा। यात्रा में सम्मुख चन्द्रमा लाभप्रद व शुभ माना गया है। राहुकाल: प्रात: ७.३० से ९.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।

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