नक्षत्र: भरणी ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र सायं ७.०२ तक, तदन्तर कृतिका ‘मिश्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। भरणी नक्षत्र में साहस, दारूण, शत्रुवध, अग्निविषादिक असद् कार्य, कुआ व कृषि सम्बंधी कार्य और कृतिका नक्षत्र में सभा-साहस, अग्निग्रहण, विवाद व शत्रुवध आदि विषयक कार्य सिद्ध होते हैं। शुभ कार्य वर्जित हैं।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से प्रात: ९.३४ तक लाभ व अमृत, पूर्वाह्न ११.०४ से दोपहर १२.३४ तक शुभ तथा अपराह्न ३.३४ से सूर्यास्त तक चर व लाभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं, जो आवश्यक शुभ कार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। बुधवार को अभिजित नामक
मुहूर्त शुभ कार्यों में वर्जित माना गया है।
शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है। योग: वैधृति नामक अत्यंत दुद्र्धर्ष व बाधाकारक
योग दोपहर बाद १.२७ तक, इसके बाद विष्कुंभ नामक नैसर्गिक अशुभ योग है। वैधृति नामक योग की समस्त घटियां शुभ व मांगलिक कार्यों में त्याज्य हैं।
विशिष्ट योग: रवियोग सायं ७.०२ तक, ज्वालामुखी नामक अशुभ योग अपराह्न ३.५९ से सायं ७.०२ तक तथा सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग सायं ७.०२ से अगले दिन सूर्योदय तक है। करण: भद्रा संज्ञक विष्टि नामकरण अपराह्न ३.२९ तक, इसके बाद बवादि करण प्रारम्भ हो जाएंगे। भद्रा शुभ कार्यों में त्याज्य हैं।
व्रतोत्सव: मेला बूढ़ी
गणगौर (जयपुर), विनायक चतुर्थी,
गुरु अंगददेव पुण्य दिवस (प्रा. मत से) तथा वैधृति पुण्यं। आज चौथा नवरात्रा है। चन्द्रमा: चन्द्रमा रात्रि १२.४८ तक मेष राशि में, इसके बाद वृष राशि में रहेगा। दिशाशूल: बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर आज मेष राशि के चन्द्रमा का वास पूर्व दिशा की यात्रा में सम्मुख रहेगा। यात्रा में सम्मुख चन्द्रमा धनलाभ कराने वाला व शुभप्रद माना गया है। राहुकाल: दोपहर १२.०० से दोपहर बाद १.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।