चतुर्दशी रिक्ता संज्ञक तिथि सायं ६.१८ तक, इसके बाद अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी व अमावस्या दोनों ही तिथियों में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं। चतुर्दशी तिथि में अग्निविषादिक असद् कार्य व शस्त्रादि दूषित कार्य करने योग्य हैं। नक्षत्र: शतभिषा ‘चर व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र सायं ६.४५ तक, इसके बाद पूर्वाभाद्रपद ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। शतभिषा नक्षत्र में वैसे वास्तु, वाहनादि क्रय, उपनयन आदि विषयक कार्य सिद्ध होते हैं। पर आज तिथि शुभ नहीं है। इसलिए गृहारम्भ, प्रवेश व यात्रादि शुभ नहीं है।
योग: साध्य नामक शुभ योग रात्रि ९.२७ तक, इसके बाद शुभ नामक शुभ योग है। दोनों ही नैसर्गिक शुभ योग हैं। करण: शकुनि नामकरण सायं ६.१८ तक, इसके बाद चतुष्पदादिक स्थिर संज्ञक करण हैं जिनमें पितृकार्यादि करने चाहिए।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से पूर्वाह्न ११.०७ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत, दोपहर १२.३६ से दोपहर बाद २.०५ तक शुभ तथा सायं ५.०३ से सूर्यास्त तक चर के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.५९ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारंभ के लिए अत्युत्तम हैं। शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है।
व्रतोत्सव: आज पंचक संपूर्ण दिवारात्रि तथा मेला पिहोवा तीर्थ (हरियाणा में) है। चन्द्रमा: चन्द्रमा संपूर्ण दिवारात्रि कुम्भ राशि में है। दिशाशूल: शुक्रवार को वैसे पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर आज कुम्भ राशि के चन्द्रमा का वास पश्चिम में ही है जो पश्चिम दिशा की यात्रा में सम्मुख होगा। ध्यान रखें- यात्रा में सम्मुख चन्द्रमा लाभदायक माना गया है। राहुकाल: प्रात: १०.३० से दोपहर १२.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।