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टीकमगढ़

चार साल सेें बंद है १०० दुग्ध उत्पादन करनी वाली समितियां, चालू कराने नहीं किए जा रहे प्रयास

टीकमगढ़ बुंदेलखंड सहकारी दुग्ध संघ समिति।

टीकमगढ़May 31, 2024 / 11:47 am

akhilesh lodhi

टीकमगढ़ बुंदेलखंड सहकारी दुग्ध संघ समिति।

टीकमगढ़ बुंदेलखंड सहकारी दुग्ध संघ समिति।

५ हजार ही बचे दुध उत्पादन करने वाले सदस्य

टीकमगढ़.जिले में युवाओं को रोजगार देने के लिए बुंदेलखंड सहकारी दुग्ध संघ समितियों से जोड़ा गया था। शुरुआती दौर में सैकड़ों की संख्या में दुग्ध उत्पादन करने वाली समितियों को बनाया गया था। हजारों की संख्या में दूध देने वाले सदस्य जुड़े थे। उनसे प्रतिदिन २५ हजार लीटर से अधिक दूध का स्टोर होता था। लेकिन अब १०० ही दुग्ध उत्पादन करने वाली समितियां शेष बची है और हजारों की जगह १५०० सदस्य ही समितियों को दूध दे रहे है। उसके बाद भी जिम्मेदारों द्वारा दुग्ध का उत्पादन करने वाले सदस्यों को जोडऩे का प्रयास नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण यह समितियां और सदस्य दूरी बनाते जा रहे है। हालांकि प्रबंधन दावा कर रहे कि बारिश के समय समितियों को बढाया जाएगा।
दुग्ध उत्पादन वाली समितियां समापन की ओर बढऩे लगी है। उन्हें चालू करने का प्रयास दुग्ध प्रबंधन और पशु विभाग नहीं कर रहा है। अधिक दूध का उत्पादन करने वाले संलग्न केंंद्रों से दूध आना बंद हो गया है। जिसके कारण २०० समितियों में से१०० कार्यशील और १०० समितियां चाल साल से बंद पड़ी है। दुग्ध शीत केंद्र के कर्मचारियों ने बताया कि जतारा में ११५ और टीकमगढ़ में ८५ के करीब दुग्ध केंद्र बने है। जतारा में ६० और टीकमगढ़ में ४० के करीब दुग्ध केंद्र चालू है। बुडेरा के रसोई गांव में दुग्ध केंद्र खोला गया था अब वह बंद हो गया है। पशु पालक निजी दूध डेयरियों की ओर जाने लगे है। टीकमगढ़ और जतारा में १५०० लीटर दूध उत्पादन करने वाले सदस्य बचे है। उनके द्वारा ५ हजार लीटर दूध की समितियों पर भेजा जा रहा है।
१५०० सदस्य ही दे रहे समितियों पर दूध
कर्मचारियों का कहना था कि जिले में १०० दुग्ध केंद्र चालू है। इन केंद्रों पर १५०० के करीब सदस्य जुडे है। इनके द्वारा प्रतिदिन ५०० हजार लीटर दूध दुग्ध शीत केंद्र पर सप्लाई किया जा रहा है। केंद्र के वाहनों द्वारा प्रतिदिन दूध को एकत्रित किया जाता है। दूध क्वालिटी मैनेजर द्वारा माप करने के बाद सागर दुग्ध केंद्र पर भेज दिया जाता है।
यह केंद्रों की स्थिति
दो दुग्ध शीत केंद्रों से २०० समितियां जुड़ी है। १०० समितियां समापन की ओर चली गई है जो चाल साल से बंद है।१५ के करीब अकार्यशील है, जिन्हें चालू किया जा सकता है और कुछ समितियों के पंजीयन होने वाले है , जिनके दस्तावेजों की जांच विभाग में हो रही है।
केंद्र बनाने २० समितियों के लिए बनाए थे भवन
जिले में दुग्ध समितियों को चालू कराने के लिए ९.५० लाख रुपए की लागत से २० भवन निर्माण किए गए थे। लेकिन उन भवनों में केंद्र चालू नहीं किए गए है। वह भवन खंडहर होते जा रहे है। कुण्डेश्वर जवाहर नवोदय विद्यालय के सामने भवन बनाया गया है। केंद्र चालू नहीं होने से स्थानीय लोगों ने कबाड़ जमाना शुरू कर दिया है।

गर्मियों में दूध का उत्पादन कम हो जाता है। कई समितियां बंद हो गई है। उन्हें चालू कराने का प्रयास किया जा रहा है। दूग्ध उत्पादन से जोडऩे के लिए नई समितियों को आगे लाया जा रहा है। जिससे युवाओं को लाभ मिल सके।
रोहित नामदेव प्रबंधक, दुग्ध शीत केंद्र टीकमगढ़।

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